मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से भेंट करेंगे अरविंद केजरीवाल, अध्यादेश के खिलाफ जुटा रहे समर्थन

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नई दिल्ली : दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी पार्टियों से समर्थन पाने के सिलसिले में अरविंद केजरीवाल शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे. इससे पहले, उन्होंने गुरुवार को मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात की, जबकि बुधवार को वे शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से मिले थे. हालांकि, आम आदमी पार्टी के संरक्षक अरविंद केजरीवाल की मुलाकात से पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस सप्ताह की शुरुआत में सोमवार को मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से भेंट कर चुके हैं. इस बैठक में उन्होंने केंद्र के अध्यादेश पर अरविंद केजरीवाल को समर्थन देने का भी मुद्दा उठाया था.

उद्धव-ममता से मिल चुके हैं अरविंद केजरीवाल

बताते चलें कि आम आदमी पार्टी के संरक्षक अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे से उनके बांद्रा स्थित आवास पर मुलाकात कर अध्यादेश के मुद्दे पर समर्थन मांगा था. केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ ‘आप’ की लड़ाई के लिए समर्थन जुटाने के सिलसिले में अपने देशव्यापी दौरे के तहत मंगलवार को अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कोलकाता में पश्चिम बंगाल की अपनी समकक्ष ममता बनर्जी से मुलाकात की थी.

विपक्ष के साथ आने पर राज्यसभा में पास नहीं हो सकेगा बिल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को कहा कि अगर सभी गैर-भाजपा दल एक साथ आ जाएं, तो दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण से संबंधित केंद्र सरकार के अध्यादेश पर लाए जाने वाले विधेयक को राज्यसभा में पारित होने से रोका जा सकता है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात के बाद मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा कि एनसीपी राज्यसभा में आम आदमी पार्टी (आप) का समर्थन करेगी, क्योंकि किसी भी दल के पास बहुमत नहीं है. उन्होंने कहा कि अध्यादेश ने देश के संघीय ढांचे को प्रभावित किया है.

विपक्ष की सरकार गिराने के लिए तीन तरीका अपनाती है भाजपा

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि अगर लोग भाजपा के अलावा किसी की सरकार बनाते हैं, तो भाजपा (उस सरकार को गिराने के लिए) तीन तरीकों का सहारा लेती है – सत्तारूढ़ पक्ष के विधायक खरीदना, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का डर दिखाना या यह सुनिश्चित करने के लिए एक अध्यादेश जारी करना कि निर्वाचित सरकार काम न कर पाए. उन्होंने कहा कि अध्यादेशों के जरिए निर्वाचित सरकारों को काम नहीं करने देना देश के लिए अच्छा नहीं है.

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