कक्षाएं शुरू पर नहीं बन पा रहा शैक्षणिक माहौल

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कोरोना काल के लंबे समय के इंतजार के बाद अब विद्यालयों में छात्र-छात्राओं का आना शुरू हो गया है। कोरोना काल में शिक्षकों का विद्यालय आना अनिवार्य था। बावजूद विद्यालयों को देखने वाला कोई नहीं था। शिक्षक मैनेज सिस्टम से अपनी ड्यूटी करते थे। अब जबकि नवमी से कक्षाएं शुरू कर दी गई है बावजूद विद्यालय का शैक्षणिक माहौल नहीं लौट पा रहा है। कोरोना गाइड लाइन का पालन भी नहीं किया जा रहा है।

ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड अभियान के तहत जागरण टीम ने जब सूर्यगढ़ा प्रखंड के प्लस टू विद्यालय माणिकपुर का जायजा लिया तो यहां सबकुछ चौपट पाया। शिक्षकों ने अपना रोया तो छात्रों ने अपना। अंदाजा यही लगा कि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा के नाम पर छात्र ठगे जा रहे हैं। वहीं शिक्षा विभाग को शैक्षणिक व्यवस्था, आधारभूत संरचना, शिक्षकों एवं वर्ग कक्ष की कमी जैसी समस्या से मतलब नहीं है। यही वजह है कि प्लस टू भवन का निर्माण वर्षों से पूरा नहीं हो पाया है। शौचालय भी बदहाल है। खेल सामग्री कार्टन में बंद है। कंप्यूटर सेट खराब होकर शोभा की वस्तु बनी हुई है। पुस्तकालय भी बदहाल है। चूंकि लॉकडाउन के कारण छात्र-छात्राएं विद्यालय आ नहीं रहे थे, इस कारण भी विद्यालय में सबकुछ अस्त व्यस्त नजर आया।


17 गांव के बच्चे आते हैं पढ़ने

उच्च विद्यालय माणिकपुर का प्लस टू का दर्जा सरकार ने दे रखा है। नदी कान्ही क्षेत्र का एकमात्र प्लस टू विद्यालय की विडंबना यह है कि इसके उत्क्रमण के बाद से आज तक प्लस टू का भवन निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है। इस विद्यालय में क्षेत्र के 17 गांव के छात्र-छात्राएं पठन-पाठन के लिए आते हैं। माध्यमिक में प्रभारी प्राचार्य सहित सात शिक्षक हैं। इनमें से सभी अपनी सुविधा के अनुसार मैनेज सिस्टम से ड्यूटी करते हैं। छात्र-छात्राओं की संख्या 1,769 है। लेकिन, उपस्थिति दो दर्जन से अधिक नहीं दिखी। प्लस टू में विज्ञान में एकमात्र शिक्षक हैं जबकि कला में इतिहास, राजनीति शास्त्र, संगीत तथा कंप्यूटर विषय में एक-एक शिक्षक हैं। छात्रों को पढ़ाने के लिए कुल सात कमरा है। इसी में प्लस टू के छात्र भी यदा-कदा पढ़ लेते हैं। वैसे प्लस टू के छात्रों का सिर्फ नामांकन ही होती है।


दस में से आठ कंप्यूटर खराब

प्लस टू विद्यालय माणिकपुर में कंप्यूटर शिक्षा का हाल भी बुरा है। जबकि इस विषय में एक शिक्षक पदस्थापित हैं। छात्र-छात्राओं के लिए कुल दस कंप्यूटर सेट विद्यालय में मौजूद हैं लेकिन इनमें से आठ खराब होकर शोभा की वस्तु बनी हुई है। दो कंप्यूटर टेल पर छात्रों का मुंह चिढ़ा रही है।


कार्टन में बंद है खेल सामग्री

छात्र-छात्राओं के शारीरिक विकास के लिए विद्यालय को अपना सुरक्षित खेल मैदान है। एक समय में खेल के क्षेत्र में इस विद्यालय का नाम प्रखंड और जिला स्तर पर गर्व से लिया जाता था। आज औसतन भी नहीं है। खेल शिक्षक नहीं रहने के कारण खेल सामग्री विद्यालय के एक कमरे में कार्टन में रखी हुई है। पूर्व में खेल शिक्षक के रूप में संतोष कुमार पदस्थापित थे लेकिन आठ माह पूर्व उन्होंने विद्यालय से त्याग पत्र दे दिया है। इसके बाद किसी का पदस्थापन विभाग ने नहीं किया।


कोरोना गाइड लाइन का पालन नहीं

सरकार ने कोरोना गाइड लाइन का पालन करने की शर्तों पर तत्काल कक्षा नौ से ऊपर की कक्षाओं के संचालन का आदेश दिया है। इसके तहत मास्क लगाना अनिवार्य, शारीरिक दूरी का पालन, सैनिटाइजर की व्यवस्था और साफ-सफाई का ख्याल रखना है। बावजूद इस विद्यालय में बच्चे तो बच्चे शिक्षक भी बिना मास्क लगाए नजर आए। हालांकि कुछ बच्चे मास्क लगाए थे। लेकिन, जिन्हें इसे लागू कराने की जिम्मेदारी दी गई वे ही गैर जिम्मेदार बने थे।


प्राचार्य थे अवकाश पर

विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य मेडिकल अवकाश पर थे। जो शिक्षक मौजूद थे वे इस संबंध में कुछ भी बोलने से परहेज करते रहे। यहां तक कि अपना-अपना नाम बताने को भी तैयार नहीं हुए। दस में से चार शिक्षक किस कारण से विद्यालय नहीं पहुंचे थे इस पर सबने अपनी जुबान बंद कर रखी थी।

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