जी20 के रात्रिभोज में दुनिया को मिलेट्स का महत्व बताएंगी ओडिशा की दो महिला किसान

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जी20 की दिन भर की बैठक के बाद रात में राष्ट्रपति महामहिम द्रौपदी मुर्मू ने अतिथियों के सम्मान में रात्रिभोज दिया है. इस रात्रिभोज की सबसे बड़ी खूबी यह है कि ओडिशा के पिछड़े जिलों की दो आदिवासी महिला किसान विश्व के सबसे विकसित देशों के राष्ट्राध्यक्षों और उनके साथ आये डेलिगेट्स को मिलेट्स के महत्व के बारे में बताएंगी.य इन दोनों महिला किसानों के नाम रायमती घिउरिया और सुबासा मोहंता हैं. इन दोनों महिलाओं ने मिलेट्स की खेती को तब अपनाया था, जब इनकी खेती करने के लिए कोई तैयार नहीं था.

रायमती और सुबासा बताएंगी मिलेट्स का महत्व

अब ये दोनों महिला किसान जी20 के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों और उनके साथ आये मंत्रियों एवं अधिकारियों की टीम को बताएंगी कि मिलेट्स किस तरह से स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है. मिलेट्स पर्यावरण के भी अनुकूल है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सामने में ओडिशा की दोनों किसान रायमती घुउरिया और सुबासा मोहंता बताएंगी कि मिलेट्स की खेती कैसे होती है. किस तरह उन्होंने मिलेट्स की खेती करके अपना और अपने परिवार का जीवन बदल दिया. साथ ही कई आदिवासी महिलाओं ने इसे अपनाकर जिंदगी में बदलाव लाया है.

कोरापुट जिले की हैं रायमती घिउरिया

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि रायमती घिउरिया महज 36 साल की हैं. वह भूमिया समुदाय से आती हैं. ओडिशा को कोरापुट जिले के नौगुड़ा गांव की रहने वाली हैं. उन्होंने 70 किस्म के देसी धान की बीजों का संरक्षण किया है. 70 प्रकार के मिलेट्स का भी संरक्षण किया है. इसलिए उन्हें सीड कंजर्वेटर के नाम से भी जाना जाता है. तीन बच्चों की मां रायमती घिउरिया ने अपनी जैसी आदिवासी महिलाओं को कई तरह से रोजगार से जोड़ा है.

रायमती की कंपनी दिलाती है मिलेट्स का न्यूनतम समर्थन मूल्य

रायमती घिउरिया ने महिलाओं को मिलेट्स की खेती के महत्व के बारे में बताया. जो खेती कर सकतीं थीं, उन्हें उसमें मदद की. जिन किसानों के पास खेत नहीं थे, उन्हें मिलेट्स और अन्य कृषि उपज की पैकिंग के काम से जोड़कर उन्हें रोजगार दिया. इतना ही नहीं, रायमती ने एक कंपनी भी बनाई है, जो स्थानीय किसानों को मिलेट्स के उत्पादन के लिए प्रेरित करता है और उनकी उपज को बाजार उपलब्ध करवाता है. बाकायदा इसके लिए किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलता है.

2012 से ही किसानों दो ट्रेनिंग दे रहीं रायमती घिउरिया

ओडिशा की इस दूरदर्शी महिला किसान ने मिलेट्स के महत्व को बहुत पहले समझ लिया था. उन्होंने वर्ष 2012 से ही किसानों को ऑनलाइन ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया था. वह किसानों को बतातीं हैं कि मिलेट्स की खेती कैसे करें. ऑर्गेनिक पेस्ट मैनेजमेंट और इंटरक्रॉपिंग के बारे में भी लोगों को बतातीं हैं.

मयूरभंज जिले के सिंगारपुर गांव की हैं सुबासा मोहंता

सुबासा मोहंता ओडिशा के मयूरभंज जिले के सिंगारपुर गांव की रहने वाली हैं. उनकी उम्र 45 साल है. रागी की खेती करके उन्होंने नाम कमाया है. पहले वह पारंपरिक तरीके से धान की खेती करतीं थीं. किसी तरह परिवार का गुजारा कर पातीं थीं. बाद में उन्होंने रागी (मिलेट का एक प्रकार) की खेती शुरू की. सुबासा कहतीं हैं कि मिलेट्स कभी आदिवासियों के पारंपरिक भोजन का हिस्सा हुआ करता था.

आदिवासियों ने बना ली थी मिलेट्स से दूरी

देखते ही देखते आदिवासियों ने इससे दूरी बना ली. मेरे गांव में लोगों ने इसकी खेती छोड़ दी. लेकिन, बाद में मुझे लगा कि मिलेट्स की खेती करनी चाहिए. मिलेट्स की खेती से जब मेरी आमदनी बढ़ने लगी, तो मुझे लगा कि इसके बारे में लोगों को बताना चाहिए. मैंने अपने आसपास की किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करना शुरू किया. धीरे-धीरे लोगों को सुबासा मोहंता की बात समझ आई और लोगों ने मिलेट्स की खेती शुरू कर दी.

ओडिशा सरकार ने 2017 में लांच किया मिलेट्स मिशन

सुबासा ने बताया कि वर्ष 2017 में जब सरकार ने ओडिशा मिलेट्स मिशन को लांच किया, तब उनको इसके महत्व के बारे में समझ आया. इसके पहले तो उन्हें हर साल धान की खेती में नुकसान झेलना पड़ता था. मिलेट्स की खेती करने के बाद सुबासा मोहंता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उस वक्त संवाद करने का अवसर मिला, जब वह मिलेट्स पर ग्लोबल कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे.

जी20 नेताओं की पत्नियों ने मोटे अनाज के बारे में जाना

जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की पत्नी योको किशिदा समेत जी20 के करीब 15 नेताओं की पत्नियों ने शनिवार को यहां 1,200 एकड़ में फैले पूसा-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) परिसर का दौरा किया जहां उन्होंने मोटे अनाज को खेत में तैयार किए जाने से लेकर पकाए जाने तक का अनुभव लिया.

ऋषि सुनक व अजय बंगा की पत्नी डेलिगेट में शामिल

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की पत्नी अक्षता मूर्ति और विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा की पत्नी रितु बंगा जी20 नेताओं की जीवन संगनियों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल थीं, जिन्होंने यहां राष्ट्रीय राजधानी में आईएआरआई परिसर का दौरा किया. भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की पत्नी क्योको जयशंकर ने उनका स्वागत किया. प्रतिनिधिमंडल का प्रदर्शनी में एक भव्य ‘मोटा अनाज-रंगोली’ से स्वागत किया गया.

एग्रीस्टार्टअप ने किया चुनौतियों के समाधान का प्रदर्शन

इसमें 18 देशों के मोटे अनाज और भारत में बढ़ते स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को प्रदर्शित किया गया. कृषि मंत्रालय ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘प्रदर्शनी क्षेत्र में 15 ‘एग्रीस्टार्टअप’ ने जमीनी स्तर की चुनौतियों से निपटने के लिए नवीन तकनीकी के माध्यम समाधान का प्रदर्शन किया. देश भर के एफपीओ ने ‘सामूहिक कृषि के माध्यम से ग्रामीण समृद्धि को सशक्त बनाना’ थीम के साथ देश भर में विपणन किए जाने वाले खाद्य उत्पादों को प्रदर्शित किया.’

मध्यप्रदेश की लहरी बाई से मिले विदेशी मेहमान

मंत्रालय द्वारा आयोजित प्रदर्शनी में भारत की कृषि उत्कृष्टता को प्रदर्शित किया गया, जिसमें किसान, अत्याधुनिक कृषि-प्रौद्योगिकी शामिल थी. एक घंटे की यात्रा के दौरान प्रतिनिधियों ने मध्यप्रदेश की महिला आदिवासी किसान लहरी बाई से भी मुलाकात की, जिन्होंने अपने खेत में मोटे अनाज के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. लहरी बाई दूर-दराज के गांवों की उन 20 महिला किसानों में से हैं, जिन्होंने आईएआरआई में जी20 नेताओं की पत्नियों के साथ मोटे अनाज की खेती के बारे में अपने अनुभव और ज्ञान साझा किया.

11 राज्यों की महिला किसानों को किया था आमंत्रित

ये महिलाएं अपने-अपने क्षेत्रों में मोटे अनाज की खेती के आंदोलन में सबसे आगे हैं. मोटे अनाज के उत्पादक 11 राज्यों – मध्यप्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तराखंड और ओडिशा के दूर-दराज के गांवों से महिला किसानों को आमंत्रित किया गया था.

इन चीजों का भी किया गया प्रदर्शन

आईएआरआई के निदेशक एके सिंह ने बताया कि खाद्य और पोषण सुरक्षा में अनुसंधान के माध्यम से कृषि में हुई प्रगति को दर्शाते हुए भारतीय कृषि की प्रगति को प्रदर्शनियों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया. प्रतिनिधियों ने भारतीय कृषि के बारे में सब कुछ समझने में गहरी रुचि ली. उन्होंने कहा कि बाजरा के अलावा, डेयरी, मत्स्य पालन और फूलों की खेती में हुई प्रगति को प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया.

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