क्या बिहार व उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव लड़ेगी AAP, केजरीवाल ने दिया ये जवाब

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नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी जहां दिल्ली से बाहर अपने विस्तार की ओर बढ़ रही है, वहीं राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा और कांग्रेस का विकल्प भी देने की कोशिश कर रही है। इन तमाम मुद्दों पर दिल्ली के सीएम केजरीवाल से दैनिक जागरण के सौरभ श्रीवास्तव व वीके शुक्ला ने विशेष बातचीत की। प्रस्तुत हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश..

कांग्रेस की मौजूदा हालत को देखते हुए भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर वैकल्पिक नेतृत्व के रूप में आपकी ओर लंबे समय से देखा जा रहा है, इस पर क्या कहेंगे?

ये जनता को देखना है, जनतंत्र है। जनता सब निर्णय लेगी। आज देश की राजनीति की बात करें तो पक्ष और विपक्ष दोनों के विकल्प की जरूरत है। ऐसे समय में जब चीन देश को चुनौती दे रहा है, इतना तनाव बना हुआ है, देश में कोरोना फैला हुआ है, तब हमारे देश की दोनों सबसे बड़ी पार्टियां राजस्थान में आपस में लड़ रही हैं। एक विधायकों को बेच रही है, दूसरी विधायकों को खरीद रही है। एक सरकार गिरा रही है और दूसरी सरकार बचा रही है। बहुत ही तुच्छ किस्म की राजनीति चल रही है। ऐसे समय में सारे देश को साथ लेकर चीन का और कोरोना का मुकाबला करना चाहिए था। कांग्रेस खत्म हो चुकी है तो भाजपा को लगता है कि कोई हमारे सामने नहीं है तो हमें काम करने की क्या जरूरत है।

राष्ट्रीय राजनीति में यदि आपको जरूरत पड़ती है तो क्या आप दूसरे दलों का साथ लेंगे?

आम आदमी पार्टी बहुत छोटी पार्टी है। आप इंतजार कीजिए देश की जनता विकल्प देगी। हमारा काम है जनता को उम्मीद देना।

बिहार व उत्तराखंड में आपकी क्या योजना है?

बिहार के बारे में अभी हमारी कोई योजना नहीं है, लेकिन उत्तराखंड में हम पूरी तैयारी के साथ चुनाव लड़ेंगे। एक सर्वे में वहां के 62 फीसद लोगों ने कहा है कि आप को चुनाव लड़ना चाहिए, इसलिए वहां सभी सीटों पर लड़ेंगे।

आप अब देशभर में विस्तार कर रही है, ऐसे में आप को दूसरे राज्यों के लिए भी मजबूत नेता चाहिए? इसके लिए क्या रणनीति है?

देशभर में तमाम ऐसे सक्षम नेता हैं। दस साल पहले हमें कौन जानता था। दूसरे राज्यों में जैसे-जैसे विस्तार होगा, लोग हमें वहां भी जानना शुरू करेंगे। हम दूसरे दलों के लोगों से भी अपील कर रहे हैं कि जो अच्छे नेता हैं वो हमारे साथ आएं। हमारा दल जो छोड़कर गए हैं, हम उनसे भी अपील कर रहे हैं कि वो साथ आएं।

चीन के साथ भारत के संबंधों में जो तनाव आया है, उसे लेकर आपका क्या कहना है?

पूरा देश चीन के मामले में प्रधानमंत्री के साथ है। जो भी निर्णय केंद्र सरकार लेगी, उस निर्णय का सभी लोग साथ देंगे। मैं समझता हूं कि जो जमीन चीन ने हमसे ले ली है, उस जमीन को वापस लेने के लिए केंद्र सरकार को तुरंत और ठोस कदम उठाने चाहिए। यदि वह जमीन वापस नहीं ली गई तो यह देश का और सैनिकों के बलिदान का अपमान होगा, जिसे देश बर्दाश्त नहीं करेगा।

केंद्र द्वारा तैयार नई शिक्षा नीति को लेकर आपका क्या रुख है?

इस नीति में अच्छी बातें भी हैं, लेकिन कमियां भी हैं। इसमें कई लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं, लेकिन इसके क्रियान्वयन का खाका अभी तैयार नहीं हुआ है। इसमें कहा गया है कि शिक्षा के लिए जीडीपी का छह फीसद आवंटित किया जाएगा, लेकिन कोई सरकार यदि नहीं करेगी तो क्या होगा, इस बारे में इसमें कुछ नहीं है। इस नीति में सरकारी स्कूलों की भी ज्यादा चर्चा नहीं है।

अधिवक्ता प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराए जाने के बाद इन दिनों अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व अवमानना को लेकर एक नई बहस छिड़ी है। आपका क्या कहना है?

हमारा संविधान लोगों को अपनी राय प्रकट करने का अधिकार देता है, लेकिन उसमें उसकी सीमाएं भी लिखी हुई हैं। बोलने की यदि आजादी नहीं होगी तो दिक्कत होगी, लेकिन मर्यादाओं को भी नहीं लांघा जाना चाहिए। ऐसा कुछ न बोला जाए, जिससे किसी को ठेस लगे।

कोरोना ने हर किसी की जिंदगी को प्रभावित किया है, इस दौर में व्यक्तिगत तौर पर आपके जीवन में क्या बदलाव आए हैं? आपने अपनी जीवनशैली कितनी बदली है?

हमारे निजी जीवन में भी वही बदलाव हैं, जो दूसरों की जिंदगी में हुए हैं। मुख्यमंत्री के तौर पर कई योजनाएं बनाई थीं, सब रोकनी पड़ी हैं। हमने दिल्ली की जनता से जो वादे किए थे, सोचा था कि सरकार बनते ही उन पर काम करेंगे, लेकिन बहुत सारी चीजों को रोकना पड़ा। निजी जीवन के लिए हमारे पास समय नहीं है। मैं यही सोच रहा हूं कि कैसे लोगों की जान बचाऊं, सारी ऊर्जा इसी में लग रही है। खुद को तनावमुक्त रखने के लिए मैं ध्यान जरूर करता हूं। कोरोना को नियंत्रित करने को लेकर हमने जो भी काम किए हैं, उन्हें तीन-चार दिन में वेबसाइट पर डाल देंगे । जिसे आवश्यकता होगी, वह वहां से जानकारी ले लेगा।

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