शाहीन बाग: प्रदर्शनकारियों में कोरोना का खौफ

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कोरोनावायरस का खौफ शाहीन बाग के प्रदर्शन में भी देखने का मिल रहा है। वायरस के डर से प्रदर्शनकारी महिलाएं अपने बच्चों के साथ धरना स्थल पर नहीं पहुंच रही हैं। शुक्रवार को धरना स्थल पर करीब 50 प्रदर्शनकारी महिलाएं ही दिखीं। प्रदर्शन स्थल पर कम होती भीड़ को देखते हुए माइक से लोगों को घरों से निकलने की अपील की जा रही है।

दर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि प्रदर्शन में शामिल होने के लिए बाहर से भी लोग आ रहे हैं। कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए वह डरी हुई हैं। यही वजह है कि महिलाएं प्रदर्शन स्थल पर जाने से परहेज कर रही हैं। उधर, कम भीड़ को देखते हुए संभावना जताई जा रही है कि बंद रास्ता होली से पहले खुल सकता है। ग्लैम डस्ट एक्सीलेंस अवार्ड 2020 से सम्मानित होंगी 30 चुनिंदा हस्तियां  

दर्शन स्थल पर मौजूदा वक्त में ज्यादातर बुजुर्ग महिलाओं ने ही मोर्चा संभाल रखा है। दूसरी महिलाओं के घरों से नहीं निकलने से धरना स्थल पर भीड़ काफी कम हो गई है। शुक्रवार को भीड़ कम होने पर किसी ने सोशल मीडिया पर रास्ता खाली करने की अफवाह उड़ा दी। इसकी जानकारी होते ही माइक से लोगों को प्रदर्शन स्थल पर जुटने की अपील की जाने लगी। हालांकि अपील के बावजूद भीड़ अपेक्षाकृत कम दिखी।

शाहीन बाग: प्रदर्शनकारियों में कोरोना का खौ

हूटर बजाकर भीड़ को बुलाए जाने लगा
शाहीन बाग कुछ नया प्रयोग करने के लिए भी चर्चित है। इसी सिलसिले में प्रदर्शनकारियों ने भीड़ जुटाने के लिए धरना स्थल पर एक हूटर लगाया है। हूटर बजने का मतलब है कि ज्यादा से ज्यादा लोग प्रदर्शन में शामिल होने के लिए पहुंचे।

82 दिन से धरने पर बैठे हैं लोग
शाहीन बाग में बीते 82 दिन से नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन चल रहा है। प्रदर्शनकारी दादी बिलकिस का कहना है कि मांगें नहीं माने जाने तक रास्ता नहीं खोलेंगे। गौरतलब है कि शाहीन बाग के रास्ते को खाली कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त किए गए वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन पांच दफा धरनास्थल पर पहुंचकर प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर चुके हैं। दोनों वार्ताकार ने प्रदर्शनकारियों को मनाने का भी प्रयास किया, लेकिन कुछ प्रदर्शनकारियों के अड़ियल रवैये की वजह से अब तक रास्ता नहीं खुला है।

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