Sengol की ऐसे होगी संसद में ताजपोशी, बनाने वाले की है अनोखी कहानी, संसद के उद्घाटन में होंगे शामिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को देश के नये संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. इसके लिए सभी विपक्षी पार्टियों को आमंत्रित किया गया है. हालांकि 19 विपक्षी दलों ने इसका विरोध करते हुए उद्घाटन समारोह का बहिष्कार कर दिया है. नये संसद भवन में सत्ता हस्तांतरण के प्रतिक सेंगोल को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के करीब स्थापित किया जाएगा.
सेंगोल को तैयार करने वाले एथिराजुलु और सुधाकर को संसद के उद्घाटन समारोह किया गया आमंत्रित
संसद भवन के उद्घाटन समारोह के लिए बेहद खास शख्स को आमंत्रित किया गया है. बता दें कि सेंगोल को बनाने वाले एथिराजुलु और सुधाकर को इस ऐतिहासिक क्षण में मौजूद रहेंगे. गौरतलब है कि 1947 में सेंगोल को मद्रास के स्वर्णकार वुम्मीडी बंगारू शेट्टी द्वारा बनवाया गया था. इसे बनाने में करीब एक महीने का समय लगा था. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इसके लिए वुम्मिडि बंगारू शेट्टी को केवल 15000 रुपये मिले थे. इसे बनाने में वुम्मीडी एथिराजुलु (Vummidi Ethirajulu) और वुम्मीडी सुधाकर (Vummidi Sudhakar) भी शामिल थे.
क्या कहते हैं वुम्मीडी बंगारू के वंशज
वुम्मीडी बंगारू के वंशज अमरेंद्र वुम्मीडी ने कहा, सेंगोल (राजदंड) है जो सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक है. इसे पहली बार जवाहरलाल नेहरू ने पुजारियों द्वारा प्राप्त किया था. वुम्मीडी बंगारू शेट्टी के वंशज जितेंद्र ने बताया, इसे अगस्त 1947 में हमारी दूसरी पीढ़ी द्वारा तैयार किया गया था. सेंगोल(राजदंड) के ऊपरी हिस्से में नंदी स्थापित की गई है. इसे एक राजा द्वारा दूसरे राजा को सत्ता के हस्तांतरण के रूप में सौंपा जाता है.
ऐसी है सेंगोल तैयार होने की कहानी
वुम्मीडी एथिराजुलु ने मीडिया से बात करते हुए बताया, उन्हें पहली इसे बनाने का ऑर्डर मिला था. बताया गया था कि इसे बेहद खास स्थान पर जाना है. इसके लिए चित्र दिखाया गया था और बताया गया था कि इसी तरह का सेंगोल तैयार करना है. उन्होंने बताया, चांदी का सेंगोल बनाया गया था, जिसमें सोरे की परत चढ़ाई गयी थी.
तमिल रीति रिवाज से होगी सेंगोल की स्थापना
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार संसद भवन का जब उद्घाटन किया जाएगा, तो उस समय सेंगोल को तमिल रीति रिवाज के साथ स्थापित किया जाएगा.
गृह मंत्री अमित शाह ने बताया, तमिलनाडु के एक अधीनम से ‘सेंगोल’ को ग्रहण करेंगे
केंद्रीय गृह मंत्री ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, हमारी सरकार का मानना है कि इस पवित्र ‘सेंगोल’ को संग्रहालय में रखना अनुचित है. ‘सेंगोल’ की स्थापना के लिए संसद भवन से अधिक मुनासिब, पवित्र और उपयुक्त कोई अन्य स्थान नहीं हो सकता है. शाह ने कहा, इसलिए, जब नया संसद भवन राष्ट्र को समर्पित किया जाएगा, उसी दिन मोदी बहुत विनम्रता के साथ, तमिलनाडु के एक अधीनम से ‘सेंगोल’ को ग्रहण करेंगे और बहुत सम्मान के साथ, इसे लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास रखेंगे.
गंगाजल से पवित्र करने के बाद सेंगोल को नेहरू जी को दी गई थी
भारत के पहले भारतीय गवर्नर-जनरल सी. राजगोपालाचारी के परपोते सीआर केसवन ने बताया, यह राजदंड पहले माउंटबेटन को दिया गया जिसे बाद में पुजारी को दी गई जिसे गंगाजल से पवित्र किया गया और बाद में नेहरू जी को दी गई. यह एक ऐतिहासिक घटना थी. इसके बार में किसी को नहीं पता था. इस राजदंड को इलाहाबाद संग्रहालय में यह कहकर रखा गया कि यह एक गोल्डन वॉकिंग स्टिक है जो पंजित नेहरू को दी गई थी. उन्होंने कहा, मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करता हूं कि वे इस पवित्र राजदंड सेंगोल को फिर से जीवंत किया. 1947 में जब आजादी नजदीक थी तब राजगोपालाचारी ने नेहरू जी को बताया कि यह प्राचीन भारतीय सभ्यता परंपरा है कि जब सत्ता का हस्तांतरण होता है तब पवित्र राजदंड सैंगोल को मुख्य पुजारी द्वारा नए राजा को दिया जाता है और यही होना चाहिए.