‘बीजेपी ने मानी हार, अब सत्ता सौंपने का वक्त आ गया’, सेंगोल को लेकर पक्ष-विपक्ष के बीच तेज हुई जुबानी जंग

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नए संसद भवन में सेंगोल के हस्तांतरण को लेकर पक्ष-विपक्ष के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. वहीं समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने सेंगोल विवाद के बीच कहा कि, अगले साल लोकसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन हो जाएगा. उन्होंने ट्वीट किया सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण (एक-हाथ से दूसरे हाथ में जाने) का प्रतीक है… लगता है भाजपा ने मान लिया है कि अब सत्ता सौंपने का समय आ गया है. अखिलेश यादव ने सेंगोल मसले पर तंज कसते हुए दावा किया कि अगले साल लोकसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन हो जाएगा. अखिलेश ने सेंगोल हो सत्ता परिवर्तन का प्रतीक माना है.

सेंगोल को लेकर जयराम रमेश ने किया खुलासा 

वहीं कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि , क्या यह कोई आश्चर्य की बात है कि नई संसद को व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी के झूठे आख्यानों से पवित्र किया जा रहा है? अधिकतम दावों, न्यूनतम साक्ष्यों के साथ भाजपा/आरएसएस के ढोंगियों का एक बार फिर से पर्दाफाश हो गया है. उन्होंने कहा कि , राजदंड का इस्तेमाल अब पीएम और उनके ढोल-नगाड़े तमिलनाडु में अपने राजनीतिक फायदे के लिए कर रहे हैं. यह इस ब्रिगेड की विशेषता है जो अपने विकृत उद्देश्यों के अनुरूप तथ्यों को उलझाती है. असली सवाल यह है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नई संसद का उद्घाटन करने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है?

अमित शाह का पलटवार 

वहीं अमित शाह ने विपक्ष पर पटलवार करत हुए कहा कि , कांग्रेस पार्टी भारतीय परंपराओं और संस्कृति से इतनी नफरत क्यों करती है? भारत की स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में तमिलनाडु के एक पवित्र शैव मठ द्वारा पंडित नेहरू को एक पवित्र सेंगोल दिया गया था, लेकिन इसे ‘चलने की छड़ी’ के रूप में एक संग्रहालय में भेज दिया गया था.

कांग्रेस इतिहास को झूठा बता रही है- अमित शाह 

उन्होंने कहा, अब कांग्रेस ने एक और शर्मनाक अपमान किया है. एक पवित्र शैव मठ, थिरुवदुथुराई अधीनम ने स्वयं भारत की स्वतंत्रता के समय सेंगोल के महत्व के बारे में बात की थी. कांग्रेस अधीनम के इतिहास को झूठा बता रही है! कांग्रेस को अपने व्यवहार पर विचार करने की जरूरत है.

क्या है सेंगोल?

पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अंग्रेजों से सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर ‘सेंगोल’ प्राप्त किया था. सेंगोल यानी राजदंड, 14 अगस्त 1947 को एक अनोखी घटना हुई थी. इसके 75 साल बाद आज देश के अधिकांश नागरिकों को इसकी जानकारी नहीं है. सेंगोल ने हमारे इतिहास में एक अहम भूमिका निभाई थी. यह सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था. इसकी जानकारी पीएम मोदी को मिली तो गहन जांच करवाई गई. फिर निर्णय लिया गया कि इसे देश के सामने रखना चाहिए. इसके लिए नए संसद भवन के लोकार्पण के दिन को चुना गया.’

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