चार साल बाद मिला इंसाफ: रोहिणी कोर्ट ने छह बैंक कर्मियों पर एफआईआर दर्ज करने का दिया आदेश

नरेला पुलिस को 28 मार्च तक कोर्ट में अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश

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20 लाख के घोटाले में बैंक चेयरमैन से लेकर एमडी तक गंभीर आरोपों के घेरे में
पीड़ित महिला के खाते से मई 2016 में बैंककर्मियों ने ही गबन कर ली 20 लाख की रकम
मार्च 2022 में रोहिणी कोर्ट ने दिया नरेला पुलिस को एफआईआर करने का आदेश
संज्ञेय मामला होने के बावजूद स्थानीय पुलिस के रवैये पर भी कोर्ट ने उठाया सवाल

 

नयी दिल्ली (अमित लाल)। दिल्ली सरकार के कोऑपरेटिव बैंकों में घोटाले की ख़बरें और खुलासे पीछे दो सालों से आपको दिल्ली न्यूज़24 दिखाता आ रहा है। आज उसी कड़ी में चार सालों बाद ही सही एक पीड़ित को इंसाफ मिलता दिख रहा है। रोहिणी कोर्ट ने दिल्ली स्टेट कोआपरेटिव बैंक की नरेला शाखा में हुए 20 लाख के एक गबन के मामले में 156(3) के तहत छह बैंक कर्मियों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश सुनाया है।

महानगर दंडाधिकारी दिव्या मल्होत्रा की कोर्ट ने मई 2016 में हुए इस अजीबोगरीब बैंक घोटाले में एफआईआर का आदेश जारी कर दिया है। जारी आदेश में संक्षेप में कहा गया है कि शिकायतकर्ता महिला स्कूल प्रिंसिपल का बचत खाता दिल्ली राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड नरेला, दिल्ली में संचालित है। 30 मई 2016 को 20 लाख रूपये खाता से डेबिट हो गये। यह रकम उसी दिन किसी सुनीता सिंह (आरोपी नंबर 5) के खाते में जमा किया गया। पूछताछ करने पर, बैंक अधिकारी हरीश सरोहा (आरोपी नंबर 1) ने उसे बताया कि यह सब टेक्नीकल गलती के कारण हो गया है और यह कि राशि जल्द ही वापस कर दी जाएगी। इसके बाद हरीश सरोहा ड्यूटी से ही गायब हो गया।
एक साल बाद 07.04.2017 को एक अज्ञात व्यक्ति अर्थात् ईश्वर सिंह के खाते से खाता 20,68,420  रूपये की राशि उन्हें बैंक द्वारा वापस जमा की गई । शिकायतकर्ता द्वारा संबंधित बैंक से पूछताछ पर इसका कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला की आखिर पैसा दूसरे के खाता से क्यों वापस किया गया। साथ ही, बैंक ने ईश्वर सिंह की शिकायत पर पुलिस रिपोर्ट भी लिखवा दी। यानि एक तरफ बैंक ने पीड़ित महिला के खाता में 20 लाख 68 हजार 420 रूपये वापस किया और फिर उसी रकम के गायब होने की इन्क्वायरी करके बैंक ने खुद ही पुलिस में लिखित शिकायत दे दी।
जब पीड़ित महिला को यह पता चला तो उन्होंने इंसाफ के लिए पहले नरेला पुलिस का दरवाजा खटखटाया। फिर घटना के दो साल बाद भी जब नरेला पुलिस ने मामले में एआईआर दर्ज नहीं की तो अक्टूबर 2019 में पीड़ित महिला ने दफा 156 (3) के तहत एफआईआर दर्ज कराने के लिए रोहिणी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जिसमें 16 मार्च 2022 को फैसला देते हुए महानगर दंडाधिकारी दिव्या मल्होत्रा की कोर्ट ने कहा है कि आईओ से रिपोर्ट मंगवाई गई जिसकी प्रारंभिक जांच में पता चला कि प्रथम दृष्टया प्रस्तावित आरोपी हरीश सरोहा और एक पुष्पा, दोनों बैंक कर्मचारी, धोखाधड़ी और घोटाले के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार था और तदनुसार बैंक ने उन्हें सेवाओं से बर्खास्त कर दिया है। इस प्रकार, उपरोक्त तथ्यों से, यह स्पष्ट है कि वर्तमान मामले में एक संज्ञेय अपराध हुआ है जिसके बावजूद पुलिस अधिकारियों ने कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं किया है। वर्तमान ऐसा मामला नहीं है जहां सबूत शिकायतकर्ता की पहुंच के भीतर हो। अतः एसएचओ पीएस नरेला को वर्तमान मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जाता है। 10 दिनों के भीतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल की जाए।

 

पीड़ित ने इस बैंक घोटाले में छह बैंक कर्मियों को आरोपी बनाया था जिसमें इस बैंक के चेयरमैन का नाम भी शामिल है। बैंक चेयरमैन पर पीड़ित महिला के पीटीआई को धमकाने का आरोप है। पीड़ित पक्ष का दावा है की मामले में जिस आरोपी ब्रांच मैनेजर राजेश बाला दहिया की संलिप्तता है वो बैंक चेयरमैन की नजदीकी रिश्तेदार है। साथ ही, यहां यह भी विशेष रूप से बताते चलें कि इस मामले में आरोपी बैंक चेयरमैन देश के सबसे बड़े सहकारी संस्थान नैफेड का भी मौजूदा चेयरमैन है। साथ ही अन्य पांच आरोपी बैंक कर्मियों ने हरीश सरोहा, राजेश बाला दहिया, एमडी के पीए और मैनेजर स्टैब्लिशमेंट गजेन्द्र सिंह चौहान, स्वाति महाजन, खाताधारक सुनीता सिंह का नाम भी शामिल है।

 

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