Rajasthan Election 2023 : ‘लाल डायरी’ कहां है, उसे पेश करें, अमित शाह पर कपिल सिब्बल का पलटवार

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Rajasthan Election 2023 : राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले ‘लाल डायरी’ को लेकर राजनीति तेज हो गयी है. मामले पर राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने रविवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर पलटवार किया. आपको बता दें कि शाह ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर ”लाल डायरी” को लेकर निशाना साधा था.

सिब्बल ने शाह से कहा कि यदि उन्हें पता है कि डायरी कहां है तो वह उसे पेश करें. आपको बता दें कि केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा था कि गहलोत को कथित ‘लाल डायरी’ के मुद्दे पर इस्तीफा देने के बाद चुनाव मैदान में उतरना चाहिए. शाह ने दावा किया था कि डायरी में ‘‘करोड़ों, अरबों रुपये के भ्रष्टाचार का कच्चा-चिट्ठा है.’’

बीजेपी नेता अमित शाह ने राजस्थान के गंगापुर शहर में ‘सहकार किसान सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कहा था, आजकल गहलोत साहब लाल डायरी से बहुत डर रहे हैं. क्यों डर रहे हैं भला… जरा बताओ तो राजस्थान वालों? …डायरी का आगे का कलर लाल है, अंदर काले कारनामे छिपे हुए हैं. अरबों, करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार का कच्चा-चिट्ठा… उस लाल डायरी के अंदर है.

सिब्बल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि राजस्थान: अमित शाह ने ‘लाल डायरी’ को लेकर गहलोत पर निशाना साधा. ‘डायरी का रंग लाल है लेकिन अंदर काले कारनामे छिपे हैं.’ ‘लाल डायरी’ कहां है अमित जी? पेश करें. सिब्बल ने कहा कि क्या आप ‘बिड़ला-सहारा डायरी’ के बारे में भूल गए हैं, जिसमें काले कारनामे ‘लिखे’ गए थे, छुपे नहीं थे?

राजस्थान मंत्रिमंडल से बर्खास्त राजेंद्र गुढ़ा ने 24 जुलाई को विधानसभा में कथित ‘लाल डायरी’ का मुद्दा उठाने की कोशिश की थी. गुढ़ा ने दावा किया था कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर उन्होंने यह डायरी जुलाई 2020 में आयकर छापे के दौरान कांग्रेस नेता धर्मेंद्र राठौड़ के आवास से प्राप्त की थी और इसमें गहलोत सहित अन्य लोगों के नाम से वित्तीय लेनदेन दर्ज हैं. राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं.

सिब्बल संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) एक और दो सरकार में केंद्रीय मंत्री थे. उन्होंने पिछले साल मई में कांग्रेस छोड़ दी थी और समाजवादी पार्टी के समर्थन से निर्दलीय सदस्य के रूप में राज्यसभा के लिए चुने गए थे. उन्होंने एक गैर-चुनावी मंच ‘इंसाफ’ बनाया है.

भाषा इनपुट के साथ

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