पाकिस्तानी मंत्री बिलावल भुट्टो जल्द आएंगे भारत, यात्रा से कोई फायदा होने की उम्मीद नहीं

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नई दिल्ली : शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन-2023 के तहत भारत के तटीय राज्य गोवा में आगामी 5 और 6 मई को संगठन के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक आयोजित की जाएगी. इस बैठक में शामिल होने के लिए पड़ोसी देश पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी भी भारत की यात्रा करेंगे, लेकिन उन इस यात्रा से पाकिस्तान को विशेष फायदा होने की उम्मीद नहीं है. मीडिया में आ रही खबरों की मानें, तो एससीओ शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए पाकिस्तान को भले ही आमंत्रित कर दिया गया है, लेकिन इस दौरान भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर और बिलावल भुट्टो जरदारी के बीच मुलाकात और बातचीत होने की संभावना न के बराबर है.

भारत की दो टूक

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक के बारे में पाकिस्तान की ओर से कहा गया है कि बिलावल भुट्टो जरदारी 4 और 5 मई को गोवा में एससीओ के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में भाग लेंगे, यह पिछले कई सालों में देश की पहली उच्च स्तरीय यात्रा है. हालांकि, भारत ने पहले ही दो टूक कह दिया है कि इस बैठक में किसी एक देश की भागीदारी पर तवज्जो देना उचित नहीं होगा.

एससीओ में एशिया-यूरोप के आठ देश

बताते चलें कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) यूरेशिया के आठ देशों के बीच का राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा गठबंधन है. इसमें चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. वर्ष 2017 में भारत और पाकिस्तान पूर्ण सदस्य के तौर पर संगठन में शामिल हुए थे. इस हफ्ते की शुरुआत में पाकिस्तानी मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी की भारत यात्रा पर एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत एक बहुपक्षीय शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है, जिसमें पाकिस्तान भी एक सदस्य है.

क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म की ट्रेनिंग देता है पाकिस्तान

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अभी हाल ही में पनामा की विदेश मंत्री जनैना तेवने मेंकोमो के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता में परोक्ष रूप से पाकिस्तान की आलोचना की थी. भारत के विदेश मंत्री ने बिलावल भुट्टो की भारत यात्रा के बारे में उन्होंने कहा था कि हमारे लिए एक ऐसे पड़ोसी के साथ जुड़ना बहुत मुश्किल है, जो हमारे खिलाफ सीमा पार आतंकवाद की ट्रेनिंग देता हो. हमने हमेशा कहा है कि उन्हें सीमा पार आतंकवाद को प्रोत्साहित करने, प्रायोजित करने और न करने की प्रतिबद्धता को पूरा करना है. हम उम्मीद जारी रखते हैं कि एक दिन हम उस मुकाम पर पहुंचेंगे.

द्विपक्षीय संबंध नहीं चाहता है पाकिस्तान

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने 20 अप्रैल को घोषणा की कि बिलावल भुट्टो जरदारी एससीओ बैठक में शामिल होने के लिए गोवा की यात्रा करेंगे. उधर, बिलावल भुट्टो जरदारी ने साफ किया है कि वह द्विपक्षीय संबंध नहीं चाहते हैं. इस्लामाबाद में एक संवाददाता सम्मेलन में अपनी भारत यात्रा के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि इसमें विदेश मंत्रियों का जमावड़ा होगा और मैं पाकिस्तान के प्रतिनिधि के रूप में वहां जाऊंगा. उन्होंने कहा कि वह सभी राजनीतिक दलों से सलाह लेंगे.

पाकिस्तान की मंशा पूरे होने के आसार नहीं

नई दिल्ली के लिए बिलावल भुट्टो जरदारी को निमंत्रण देना अपने आप में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा जनवरी में बातचीत की पेशकश के साथ भारत के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने के कुछ दिनों बाद आया. लेकिन, पाकिस्तान की मंशा पूरे होने के आसार नहीं हैं. एक महीने पहले, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आतंकवाद पर एक सम्मेलन के मौके पर एक संवाददाता सम्मेलन में जयशंकर ने पाकिस्तान के आरोपों को खारिज कर दिया था कि 2021 में लाहौर स्थित जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद के घर के बाहर विस्फोट के लिए भारतीय एजेंसियां जिम्मेदार थीं.

इस्लामाबाद पर राजनीतिक दबाव

इस्लामाबाद के पास द्विपक्षीय संबंधों की किसी भी संभावना को खारिज करने के अपने कारण हैं. सरकार के बने रहने पर अनिश्चितता के अलावा उस पर भारत के साथ न जुड़ने का भारी दबाव है. इमरान खान की लोकप्रियता से सरकार को डर लगता है. इमरान खान ने अभी हाल ही में कहा था कि प्रधानमंत्री के रूप में उन पर पाकिस्तानी सेना के पूर्व प्रमुख (2016-22) जनरल कमर जावेद बाजवा ने भारत के साथ संबंध बहाल करने का दबाव डाला था.

पत्रकारों के खुलासे ने पाकिस्तान का बढ़ाया दबाव

इस संदर्भ में एक टेलीविजन शो में दो वरिष्ठ पाकिस्तानी पत्रकारों ने जनरल बाजवा के साथ 2021 के साथ हुई अनौपचारिक बातचीत का खुलासा करके सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है. पत्रकारों ने दावा किया कि बाजवा ने कहा था कि पाक सेना भारत के खिलाफ युद्ध लड़ने में सक्षम नहीं है. पत्रकारों ने इस बात पर भी चर्चा की कि कैसे इमरान के भारत के साथ व्यापार को फिर से शुरू करने के फैसले से अंतिम समय में (अपने विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के समझाने पर) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अप्रैल 2021 में पाकिस्तान जाने की कथित योजना को विफल कर दिया.

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