Exclusive : कर्नाटक के बाद अब महाराष्ट्र से भाजपा को बेदखल करने की तैयारी में विपक्ष, जानें क्या है गेम प्लान

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नई दिल्ली : कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली प्रचंड जीत और अभी हाल ही में उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे के मामले पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले के बाद महाराष्ट्र में विपक्षी पार्टियों की ओर से राज्य से भाजपा को बेदखल करने की तैयारी शुरू हो गई है. महाराष्ट्र में विपक्ष और महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की प्रमुख दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना (यूबीटी) की ओर से एक बार फिर एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के गठबंधन वाली सरकार के खिलाफ कार्ययोजना पर काम शुरू हो गया है.

एनसीपी कोर कमेटी की मुंबई में हुई बैठक

कर्नाटक विधानसभा चुनाव कांग्रेस को मिली प्रचंड जीत और भाजपा की हार के बाद महाराष्ट्र में विपक्षी पार्टियों की हलचल भाजपा के खिलाफ तेज हो गई. इसी का नतीजा है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव की मतगणना (13 मई, 2023) के तीन दिन बाद ही महाराष्ट्र के प्रमुख विपक्षी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की कोर कमेटी की बैठक पिछले बुधवार यानी 17 मई को मुंबई में आयोजित की गई. इस बैठक की अध्यक्षता एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने की. एनसीपी कोर कमेटी की इस बैठक में कर्नाटक में भाजपा की हार के बाद देश की राजनीतिक हालात पर चर्चा के साथ संभावना यह भी तलाशी गई कि महाराष्ट्र में भाजपा और एकनाथी शिवसेना की गठबंधन वाली सरकार को लेकर क्या कुछ नया किया जा सकता है.

महाराष्ट्र में कर्नाटक जैसी सत्ता विरोधी लहर

एनसीपी के प्रवक्ता महेश तापसे के अनुसार, मुंबई में शरद पवार की अध्यक्षता में एनसीपी की कोर कमेटी की बैठक में स्थानीय और आम चुनावों के मद्देनजर कार्यकर्ताओं को तैयार करने के लिए पार्टी संगठन के मामलों पर व्यापक रणनीति पर चर्चा की गई. उन्होंने कहा कि यह बैठक इस बात को देखते हुए मायने रखती है कि महाराष्ट्र में शिंदे-फडणवीस सरकार के खिलाफ कर्नाटक जैसी सत्ता विरोधी लहर है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से विपक्ष को मिला बल

दरअसल, एनसीपी और शिवसेना (यूबीटी) को कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के साथ ही 11 मई को सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले से भी बल मिला है. महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई 2023 को अपने एक फैसले में तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की ओर से उठाए गए कदम को सही नहीं ठहराया है. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उस वक्त उद्धव ठाकरे को गिराने के लिए बहुमत साबित करने का आदेश देना अवैध था.

इसके साथ ही, सर्वोच्च अदालत ने एकनाथ गुट के 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने का मामला विधानसभा अध्यक्ष के पाले में डाल दिया है. हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि शिंदे गुट के भरत गोगावाले चीफ व्हीप नियुक्त किए जाने पर भी विधानसभा अध्यक्ष की ओर से उठाया गया कदम अवैध था. कोर्ट के इस फैसले के बाद महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के प्रमुख दल एनसीपी और शिवसेना (यूबीटी) की एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस सरकार के खिलाफ गतिविधियां तेज हो गई हैं.

बिहार के सत्ता परिवर्तन से मिला सबक

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें, तो कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद महाराष्ट्र में भाजपा के विरोध में विपक्षी पार्टियों ने बिहार के सत्ता परिवर्तन से सबक लेते हुए अपनी गतिविधियां तेज कर दी है. अगस्त 2022 में बिहार में सत्ता परिवर्तन हुआ था और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से नाता तोड़कर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ मिलकर एक बार फिर महागठबंधन की सरकार बनाई. इससे पूरे देश की राजनीति में एक बड़ा परिवर्तन देखा गया और भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता को मजबूत करने की मुहिम चल पड़ी. बिहार की इसी राजनीति से प्रेरणा लेते हुए महाराष्ट्र में कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राज्यस्तर पर एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के गठबंधन वाली सरकार के खिलाफ एक बार फिर मुहिम तेज हो गई है.

क्या है विपक्ष का गेम प्लान

विपक्ष और खासकर एनसीपी को यह लगने लगा है कि कर्नाटक की तर्ज पर वह अभी से ही एकनाथ शिंदे की सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को भुनाने का प्रयास किया जाएगा, तो महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में विपक्ष को फायदा हो सकता है. यही वजह है कि एनसीपी अभी से ही स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं को तैयार करने में जुट गई है. पार्टी प्रवक्ता महेश तापसे ने कहा कि एनसीपी के आंतरिक सांगठनिक चुनावों की घोषणा जल्द ही की जाएगी और इसके लिए वरिष्ठ नेता जयप्रकाश दांडेगांवकर और दिलीप वलसे पाटिल महाराष्ट्र और मुंबई क्षेत्रों के लिए निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया गया है. एनसीपी की इस कवायद का मकसद सबसे पहले पार्टी को मजबूत करना है और इसके बाद महा विकास अघाड़ी के घटक दलों को साथ लेकर बूथ स्तर से लेकर जिला और विधानसभा स्तर जनता से संवाद करना है, ताकि महाराष्ट्र के लोगों को एकनाथ शिंदे सरकार की नाकामयाबियों के बारे में बताया जा सके और उद्धव सरकार को गिराने के लिए भाजपा के साथ किए गए गठजोड़ को बताया जा सके.

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