Delhi Nizamuddin Markaz: पूरे देश को संकट में डालने के लिए क्या कोई नहीं जिम्मेदार?

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दिल्ली न्यूज़ 24 रिपोर्टर। Delhi Nizamuddin Markaz : देश की राजनीति की धुरी कही जाने वाली राजधानी दिल्ली इस समय कोरोना संक्रमण के मामलों की भी धुरी बन गई है। इससे न सिर्फ, दिल्ली-एनसीआर प्रभावित हुआ है, बल्कि पूरे देश में एकाएक बहुत तेजी से इस वायरस का प्रसार हुआ है। इसकी जड़ें तब्लीगी मरकज से तो जुड़ी ही हैं, लेकिन लॉकडाउन का पालन सुनिश्चित करवाने में नाकाम रहे अफसर भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं हैं। विडंबना यह कि इस जानलेवा गलती के लिए भी अभी तक किसी पर सख्त कार्रवाई होती नहीं दिख रही है।

बता दें कि 22 मार्च की मध्यरात्रि यानी जनता कर्फ्यू के दिन से ही दिल्ली में धारा 144 लगा दी गई थी। इस धारा के तहत कहीं भी पांच लोग जमा नहीं हो सकते। यहां तक कि किसी भी तरह के मांगलिक, सामाजिक और धार्मिक समारोहों पर भी पूर्णतया रोक लग गई थी। अंतिम संस्कार में भी अधिकतम 20 लोगों के ही शामिल होने की छूट है। इसके बावजूद, निजामुद्दीन क्षेत्र में स्थित तब्लीगी मरकज में देश-विदेश के करीब ढाई हजार जमातियों की मौजूदगी हर स्तर पर एक बहुत बड़ा सवाल है।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मामला सामने आते ही इस घटनाक्रम पर नाराजगी जताते हुए उपराज्यपाल अनिल बैजल को दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा था। इसके बाद उपराज्यपाल के निर्देश पर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने भी मरकज के मुख्य मौलाना मुहम्मद साद सहित सात लोगों को नामजद कर व अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर ली है। क्राइम ब्रांच इस मामले की जांच कर रही है, लेकिन प्रशासन या पुलिस की ओर से इस मामले में की गई लापरवाही के लिए जवाबदेही तय करने को अब तक कोई ठोस कोशिश होती नहीं दिख रही है। मरकज के प्रबंधकों व यहां आए लोगों के लॉकडाउन का उल्लंघन करने को पुलिस आपराधिक साजिश के तौर पर देख रही है। इन लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश की धाराओं में मामला दर्ज कर तफ्तीश की जा रही है। लेकिन दिल्ली पुलिस और प्रशासन के जिम्मेदार अफसरों की लापरवाही की लगातार अनदेखी की जा रही है।

आखिर इतनी बड़ी संख्या में लोगों को इन अधिकारियों ने तत्काल क्यों नहीं निकाला और इनके खिलाफ पहले ही कार्रवाई क्यों नहीं की गई। अधिकारियों की लापरवाही का ही परिणाम है कि मरकज से निकाले गए करीब ढाई हजार लोगों में से दो लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 500 लोगों में कोरोना के लक्षण पाए गए हैं। बड़ी संख्या में लोगों को क्वारंटाइन किया गया है। जमातियों और अधिकारियों की लापरवाही न केवल दिल्ली, बल्कि देश के कमोबेश हर हिस्से पर भारी पड़ रही है।

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