India-Nepal Border Dispute : कालापानी घुसपैठ पर नेपाल की घुड़की, पूरे क्षेत्र को बताया अपना

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India-Nepal Border Dispute : कालापानी घुसपैठ पर नेपाल की घुड़की, पूरे क्षेत्र को बताया अपना
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिला प्रशासन की ओर से घुसपैठ पर आपत्ति दर्ज कराने के बाद नेपाल ने गुरुवार को तीखी प्रतिक्रिया दी।

हल्द्वानी,  उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिला प्रशासन की ओर से घुसपैठ पर आपत्ति दर्ज कराने के बाद नेपाल ने गुरुवार को तीखी प्रतिक्रिया दी। नेपाल के दार्चुला जिला प्रशासन ने पत्र लिखकर बताया कि लिंपियाधुरा और कालापानी के साथ ही कुटी, गुंजी और नाबी भी हमारा है। सुगौली संधि का हवाला देकर नेपाल ने संबंधित क्षेत्र में आवाजाही का अधिकार बताया है। कहा है कि हमारे नागरिक जब चाहें वहां जाएंगे और आएंगे। इस पर भारत को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

पिथौरागढ़ जिला प्रशासन ने कालापानी में घुसपैठ पर 14 जुलाई को नेपाल से आपत्ति दर्ज कराई थी। साथ ही किसी भी घुसपैठ की सूचना को साझा करने का भी अनुरोध किया था। पत्र में दोनों देशों के रोटी-बेटी के संबंध का भी हवाला दिया गया। वहीं, घुसपैठ की आशंका पर सुरक्षा एजेंसियों ने गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी। नेपाल गृह मंत्रालय से भी आपत्ति दर्ज कराई।

इसी क्रम में पिथौरागढ़ के धारचुला प्रशासन ने भी नेपाली समकक्ष को पत्र लिखकर घुसपैठ पर आगाह किया था, लेकिन नेपाल प्रशासन का जवाब अप्रत्याशित रहा। दार्चुला के प्रमुख जिला अधिकारी टेकसिंह कुंवर ने लिखा है कि नेपाल और इस्ट इंडिया कंपनी के बीच 1816 में हुई सुगौली संधि की धारा पांच और तत्कालीन नक्शे में लिंपियाधुरा, कुटी, नाबी, गुंजी, कालापानी और लिपुलेख तक नेपाल का हिस्सा है। ऐसे में नेपाली भू क्षेत्र में नेपाली नागरिक बिना रोकटोक के आ और जा सकते हैं। इस क्षेत्र में भारत को कोई दखल नहीं देना चाहिए।

क्या कहा जिला प्रशासन के अधिकारियों ने

टेकसिंह कुंवर, सीडीओ दार्चुला (नेपाल) ने बताया कि घुसपैठ की आशंका से संबंधित धारचुला जिला प्रशासन का पत्र मिला था। जवाब दे दिया गया है। प्रशासन ने जिन क्षेत्रों पर आपत्ति दर्ज कराई थी वह नेपाल का ही हिस्सा है। अनिल कुमार शुक्ला, एसडीएम धारचूला का कहना है कि अभी मैं प्राकृतिक आपदा के राहत व बचाव कार्य में हूं। पत्र का अध्ययन कर रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को प्रेषित करेंगे।

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