MP में ‘ऑपरेशन कमल’ सफल हुआ तो BJP के संकटमोचक साबित होंगे अरविंद लिंबावली?

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नई दिल्ली/ सवांददाता। राजनीति में आमतौर पर नेता होते हैं लेकिन संकट की घड़ी में जो काम आता है, उसे संकटमोचक कहते हैं। कांग्रेस की ओर से डीके शिवकुमार ऐसे ही संकटमोचक हैं। भारतीय जनता पार्टी के अरविंद लिंबावली अब खुद को संकटमोटक साबित करने में लगे हुए हैं। दरअसल, लिंबावली कांग्रेस के 19 बागी विधायकों की निगरानी कर रहे हैं। इन सभी विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में मध्य प्रदेश में सत्ता की लड़ाई अब संकटमोचकों के ही भरोसे है। बीजेपी और कांग्रेस की ओर से जोरआजमाइश जारी है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर में बाजी किसके हाथ लगती है और कौन असली संकटमोचक साबित होता है।

अरविंद लिंबावली कर्नाटक की महादेवपुरा से विधायक हैं और मंत्री भी रहे हैं। साल 2019 में बीजेपी कर्नाटक की कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिराने में कामयाब रही थी। उस समय यह भी चर्चा थी कि अरविंद लिंबावली को कर्नाटक का डेप्युटी सीएम भी बनाया जा सकता है। बाद में ऐसी स्थितियां बदलीं कि अरविंद लिंबावली इस रेस में काफी पीछे हो गए।

एक विडियो आया और अरविंद लिंबावली किनारे हो गए
दरअसल, एक विवादित सेक्स विडियो सामने आया और अरविंद लिंबावली की खूब फजीहत हुई। कहा गया कि इस विडियो में खुद लिंबावली भी हैं। इस विडियो की जांच के लिए मांग करते हुए अरविंद लिंबावली विधानसभा में फूट-फूटकर रो पड़े। फरेसिंक रिपोर्ट में यह विडियो फर्जी पाया गया लेकिन तब तक उनकी इमेज को नुकसान हो चुका था। कहा यह भी जाता है कि पार्टी के ही कुछ लोगों ने अरविंद लिंबावली के बढ़ते कद को रोकने के लिए उनके खिलाफ साजिश की थी। इसी बीच कर्नाटक में गठबंधन की सरकार गिर गई। बी एस येदियुरप्पा ने सरकार बना ली लेकिन अरविंद लिंबावली किनारे हो गए।

अब मध्य प्रदेश का राजनीतिक संकट अरविंद लिंबावली के लिए एक मौके की तरह है। इस बार अगर वह खुद को साबित करते हैं तो उनके करियर का गिरता ग्राफ ऊपर उठेगा। कांग्रेस के 19 बागी विधायकों को संभालने की जिम्मेदारी अरविंद लिंबावली को ही दी गई है। ये सभी विधायक लिंबावली की विधानसभा में आने वाले एक होटल में रुके हुए हैं।

डीके शिवकुमार के रास्ते पर हैं अरविंद लिंबावली
कांग्रेस के डीके शिवकुमार से सीख लेते हुए लिंबावली ने अब तक इस काम को बखूबी अंजाम दिया है। अभी तक लिंबावली ने कांग्रेस विधायकों को एकजुट रखा है। उन्होंने इन विधायकों को मीडिया या कांग्रेस नेताओं के संपर्क में भी नहीं आने दिया है। बताया गया कि यह सब 20 फरवरी को शुरू हुआ, जब अरविंद लिंबावली को दिल्ली बुलाया गया और उन्हें ‘ऑपरेशन कमल’ की जिम्मेदारी दी गई। 4 मार्च को कांग्रेस के चार विधायक पहुंचे और 9 मार्च को विधायकों की संख्या 19 हो गई। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि अरविंद लिंबावली लगातार केंद्रीय नेतृत्व के संपर्क में हैं। इसके अलावा सिर्फ बी एस येदियुरप्पा को ही लूप में रखा गया था।

इसके पहले 2018 में गुजरात के राज्यसभा चुनाव के दौरान डीके शिवकुमार ने कांग्रेस विधायकों को संभाला था और कांग्रेस को चुनाव में जीत दिलाई थी। बाद में कर्नाटक में सरकार बनाने के दौरान भी डीके शिवकुमार ने ही कांग्रेस और जेडीएश के विधायकों को संभालकर रखा था।

एमपी में कांग्रेस की सरकार गिरी तो लिंबावली का प्रमोशन!
अरविंद लिंबावली के एक सहयोगी ने कहा, ‘उनके अनुभव और बीजेपी को सत्ता में लाने में उनकी भूमिका को देखते हुए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें जिम्मेदारी सौंपी। वह इस मौके को खुद को मजबूत करने की तरह देख रहे हैं।’ ऐसे में अगर यह ऑपरेशन सफल रहता है तो लिंबावली इस बात के लिए आश्वस्त हैं कि येदियुरप्पा कैबिनेट में उन्हें भी जगह मिल सकती है और वह अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा हासिल कर सकते हैं।

दूसरी तरफ कमलनाथ सरकार को बचाने के लिए कांग्रेस के संकटमोचक कहे जाने वाले डीके शिवकुमार मैदान में उतर आए हैं। उन्‍होंने कहा है कि बागी विधायक उनके साथ संपर्क में हैं और इनमें से ज्‍यादातर लोग वापस लौटना चाहते हैं। उन्‍होंने आरोप लगाया कि ‘कर्नाटक में 19 विधायक पुलिस हिरासत में हैं।’ उधर, इस संकट से उबारने के लिए सोनिया गांधी ने हरीश रावत और मुकुल वासनिक को भेजा है। साथ ही बागियों को मनाने के लिए एमपी के मंत्री गोविंद सिंह और सज्‍जन वर्मा बेंगलुरु पहुंच गए हैं।

 

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