चीन पर टिकी हुई है पीएम मोदी की नजर, कदमों पर लाने के लिए भारत ने बनाया प्लान

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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय विदेश दौरे पर हैं, लेकिन उनकी नजर प्रशांत द्वीपीय देशों के साथ अपने पड़ोसी और कट्टर दुश्मन देश पर भी टिकी हुई है. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की मौजूदगी को और प्रभावी बनाने के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को नई दिल्ली को प्रशांत द्वीपीय राष्ट्रों के विश्वसनीय साझेदार के तौर पर पेश किया. उन्होंने अप्रत्यक्ष तौर पर चीन का जिक्र करते हुए कहा कि जिन्हें भरोसेमंद माना जाता था, वे जरूरत के समय इस क्षेत्र के साथ नहीं खड़े थे.

प्रशांत द्वीपीय देशों के साथ खड़ा है भारत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक शिखर सम्मेलन में 14 प्रशांत द्वीपीय देशों के शीर्ष नेताओं को बताया कि मुश्किल वक्त में दोस्त ही दोस्त के काम आता है. उन्होंने आश्वस्त किया कि भारत बिना किसी हिचकिचाहट. क्षेत्र के साथ अपनी क्षमताएं साझा करने के लिए तैयार है और हम हर प्रकार से आपके साथ हैं. हिंद-प्रशांत द्वीपीय सहयोग मंच (एफआईपीआईसी) शिखर सम्मेलन में मोदी ने इस क्षेत्र के लिए स्वास्थ्य सेवा, साइबर स्पेस, स्वच्छ ऊर्जा, जल और छोटे और मध्यम उद्यमों के क्षेत्रों में 12-बिंदु विकास कार्यक्रम का भी अनावरण किया.

सच्चा दोस्त वही जो मुश्किल में काम आए

कोरोना महामारी और इसके साथ दूसरे वैश्विक विकास के प्रतिकूल प्रभाव का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत चुनौतीपूर्ण समय में प्रशांत द्वीपीय देशों के साथ खड़ा रहा और उन्हें बताया कि वे नई दिल्ली पर भरोसा कर सकते हैं, क्योंकि यह उनकी प्राथमिकताओं का सम्मान करता है और सहयोग के लिए इसका दृष्टिकोण मानवीय मूल्यों पर आधारित है. उन्होंने सम्मेलन में चीन का नाम लिये बगैर कहा कि जिन्हें हम अपना भरोसेमंद समझते थे, उनके बारे में ऐसा पाया गया कि वे जरूरत के समय हमारे साथ नहीं खड़े थे. इस मुश्किल दौर में पुरानी कहावत सही साबित हुई कि सच्चा दोस्त वही है, जो मुश्किल में काम आए.

मुश्किलों में भी प्रशांत द्वीपीय देशों के साथ खड़ा रहा भारत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि भारत इस मुश्किल की घड़ी में भी अपने प्रशांत द्वीपीय देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा. फिर चाहे बात भारत में बनाए गए टीकों की हो या आवश्यक दवाइयों की हो या गेहूं या चीनी की बात हो. भारत ने अपनी क्षमताओं के अनुसार अपने साथी देशों की मदद करना जारी रखा.

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