कोरोना काल में राजनीतिक मतभेद भुलाकर एक मंच पर आई आठ संस्थाएं, ठियोग राहत मंच ने एकजुटता बनी मददगार
कोरोना संकट में घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठे मजदूरों के लिए एक मंच राहत बनकर आया। राजनीतिक मतभेद भुलाकर बना यह मंच एकजुटता का संदेश भी दे रहा है। शिमला जिला में ठियोग राहत मंच ने आठ संस्थाओं की मदद से अन्य राज्यों के एक हजार मजदूरों को घर भेजने और लाने में मदद की। ठियोग निवासियों की इस एकजुटता का ही नतीजा है कि घर गए मजदूर अब काम पर लौट लाए हैं।
मंच में कांग्रेस और भाजपा से संबंधित व अन्य संस्थाएं मिलकर काम कर रही हैं। मंच के जिला प्रचार प्रमुख सुनील शर्मा उर्फ अप्पू का कहना है कि कोरोना संकट में ठियोग का हर व्यक्ति मजदूरों की मदद के लिए आगे आया। जितने मजदूर घर गए थे, उससे अधिक ठियोग व कोटखाई में लौट आए हैं।
मंच की सहयोगी संस्थाओं ने लगाया मरहम
ठियोग सहायता मंच ने जरूरतमंद लोगों को चार क्विंटल अनाज बांटा।
श्रीरामलीला मंच ने कोरोना योद्धाओं को काढ़े के 500 पैकेट वितरित किए।
युवा कांग्रेस ने अस्पताल, कचहरी व पुलिस थाना में सैनिटाइजर मशीनें लगाई।
सेवा भारती ने एक हजार श्रमिकों को घर पहुंचाने और उनके आने में अहम भूमिका निभाई।
सीता माता सेवा मंच ने आठ सौ धार्मिक पुस्तकें वितरित की व जागरूकता पर्चे बांटे।
गायत्री परिवार के ललित चौहान व कारोबारी श्याम लाल ने धार्मिक पुस्तकें उपलब्ध करवाई।
गोवर्धन सेवा समिति के अध्यक्ष दीपराम शर्मा ने 100 गायों के लिए चारे का जिम्मा उठाया।
इन राज्यों को भेजे मजदूर
लॉकडाउन के दौरान सेब के बगीचों व किसानों के पास काम करने वाले मजदूरों को घर भेजने की व्यवस्था की गई। सबसे ज्यादा 400 मजदूर उत्तर प्रदेश से थे। उसके बाद बिहार से 300, हरियाणा से 23, पंजाब से 15, जम्मू-कश्मीर से 20 दिल्ली से सात और पश्चिम बंगाल व ओडिशा से एक-एक मजदूर को घर भेजने की व्यवस्था की गई। नेपाल के भी 201 मजदूर थे।
मजदूरों को वापस लाने की व्यवस्था
ऊपरी शिमला में सेब तोडऩे से पैकिंग और सड़क तक ढुलाई के लिए मजदूरों की जरूरत रहती है। नेपाल से सर्वाधिक 407, उत्तर प्रदेश से 510 और बिहार से 250 मजदूर सेब बागवानों में पहले की तरह काम कर रहे हैं।
मैं धन्य हो गया
यहां के लोगों पर अब मैं आंखें मूंद कर भरोसा कर सकता हूं। इन लोगों का साथ पाकर मैं धन्य हो गया हूं। लॉकडाउन के दौरान मैं उत्तर प्रदेश के गौंड़ा में फंसा था। मेरे 250 मजदूर शिमला में कोल्ड स्टोरों में काम करते हैं। वे घर लौटना चाहते थे। मुझे पता भी नहीं चला कि बिना किसी परेशानी के सब घर कैसे पहुंचे। ठियोग राहत मंच ने उनकी बहुत मदद की। अब वे सब काम पर लौट आए हैं। -रहमत अली, श्रमिक ठेकेदार।
मंच ने की सारी व्यवस्था
मैं और मेरे जैसे सैकड़ों लोग बिना किसी झंझट के घर पहुंच गए। इसकी व्यवस्था ठियोग राहत मंच के सुनील शर्मा ने की। अब बगीचों में सेब तोडऩे का काम शुरू हुआ तो वापसी के लिए कफ्र्यू पास बनवाने की व्यवस्था भी मंच ने ही की। हम बस में बैठे और बिना परेशानी के ठियोग पहुंच गए। -भरत बहादुर, नेपाली मजदूर।