राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद इस युवा ने कभी संस्कारों से समझौता नहीं किया
अपने दादा जी से मिले संस्कारों, पिता से मिले विचारों और इंग्लैंड से पढ़कर वापस लौटे अरूणोदय गुप्ता, आज एक संपूर्ण व्यक्तित्व के स्वामी बन चुके हैं। पढ़ाई करके वतन लौटे अरूणोदय के लिए ये तय कर पाना बहुत ज्यादा कठिन नहीं था कि इन्हें आगे क्या करना है। शुरूआती दिनों में तुजुर्गे के लिए प्रख्यात कंपनी जैनपैक्ट में बतौर फाइनैनिंशियल एनैलिस्ट (आर्थिक विश्लेषक) नौकरी की। 2 सालों तक चले इस सफर के बाद अरूणोदय ने पिता के व्यापार में जाने का मन बनाया। आदर्श नगर क्षेत्र में पिता सुरेश गुप्ता का बड़ा नाम और काम था लिहाजा इन्हें पैर जमाने में ज्यादा समय नहीं लगा। पिता के तजुर्बे और अरूणोदय की नई व युवा सोच ने व्यापार को बुलंदियों पर पहुंचा दिया।
उधर, बचपन से ही आत्मसात हो रही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा ने अरूणोदय पर गहरा प्रभाव डाला। अरूण के नाम से प्रचलित इस युवा ने कभी अपने संस्कारों और विचारों से सौदा नहीं किया। अरूणोदय चाहे विदेश में रहे, चाहे स्वदेश में… लेकिन अपने संस्कारों को हमेशा पहली प्राथमिकता दी। यही कारण रहा कि जब भारत वापस लौटे तो व्यापारिक जिम्मेवारियों के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारियों का भी बखूबी निर्वहन किया। फिलहाल, अरूणोदय गुप्ता के पास आदर्श नगर, भारत विकास परिषद की मां भारती शाखा में सचिव पद की जिम्मेवारी है। इसके तहत ये साल भर कोई ना कोई सामाजिक व देशभक्ति से जुड़े कार्यक्रम आयोजित करवाते रहते हैं।
इसके पहले साल 2015-17 के बीच अरूणोदय के पास आदर्श नगर विधानसभा में बतौर संयोजक एक बड़ी जिम्मेवारी रही। और तो और ये बीएलए-1 की भूमिका भी निभा चुके हैं। पूरी विधानसभा क्षेत्र में बीएलए केवल एक ही व्यक्ति होता है लिहाजा आप खुद ही इस पद के महत्व का आंकलन कर सकते हैंं। यही नहीं, इन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव में चांदनी चौक लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और वर्तमान केन्द्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन का चुनाव कार्यालय प्रभारी बनने का भी अनुभव रहा है। इनकी इसी लगन और मेहनत का ही नतीजा है कि आज ये डाक्टर साहब (डॉ. हर्षवर्धन) की चुनाव कोर टीम के प्रमुख सिपहसलार हैं।
अपनी अर्धांगिनी गरिमा गुप्ता के विषय में अरूणोदय बताते हैं कि गरिमा कॉलेज के दिनों से ही एबीवीपी में एक्टिव रही हैं। मायके में भी भाजपाई माहौल था और खुशकिस्मती से ससुराल में भी वही माहौल मिला। साथ ही राजनीतिक परिवार होने के कारण इन्हें सामंजस्य बिठाने में ज्यादा दिक्कत नहीं आई। मेरे पिता और गरिमा जी के ससुर ने भी हमेशा अपनी बहु को सामाजिक और धार्मिक आयोजनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया। नतीजतन, आदर्श नगर क्षेत्र में भी गरिमा एक सशक्त युवा चेहरा बनकर उभरीं और पार्टी ने उन्हें 2017 में निगम का टिकट देकर सदन में पहुंचाने का काम किया।