BRICS की वर्चुअल बैठक में मिलेंगे शी-मोदी, लेकिन लद्दाख तनाव पर नहीं होगी कोई बात, जानें क्‍यों

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ब्रिक्‍स की बैठक के दौरान मंगलवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग पहली बार आमने सामने होंगे। हालांकोविड-19 के मद्देनजर कि ये बैठक वर्चुअल हो रही है। इसके बाद भी इसकी अहमियत काफी अधिक है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि ये बैठक लद्दाख में चीन के सैनिकों के साथ हुई भारतीय जवानों की झड़प के बाद पहली बार हो रही है। यूं भी इस वर्ष में शायद ये पहला मौका है जब वर्चुअल ही सही चीन और भारत के राष्‍ट्राध्‍यक्ष आमने सामने होंगे। हालांकि इस बैठक में लद्दाख से जुड़े किसी भी मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं होगी।

विशेषज्ञ की राय

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर बीआर दीपक का कहना है कि ब्रिक्‍स की बैठक में किसी भी तरह के द्विपक्षीय मुद्दों को नहीं उठाया जाता है। यही वजह है कि इस बैठक में लद्दाख का मुद्दा गायब रहेगा। हालांकि ये मुमकिन है कि भारत की तरफ से पिछली बार की तरह सदस्‍य देशों को दूसरे देशों की संप्रभुता और सीमाओं का सम्‍मान करने की नसीहत दी जाए। उनके मुताबिक इस दौरान शी-मोदी की बैठक में उन मुद्दों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा जो इसके सदस्‍य देशों के बीच और साथ ही पूरी विश्‍व बिरादरी के सामने काफी बड़े होंगे। जैसे कोविड-19 की रोकथाम का मुद्दा इस बैठक में प्रमुखता से उठेगा और इस पर दोनों देशों के बीच विचार विमर्श भी होगा। वहीं इस संगठन के सदस्‍य देशों में शामिल रूस इस मामले में अपनी पहल कर चुका है। रूस का दावा है कि उसकी कोविड-19 वैक्‍सीन स्‍पुतनिक-5 कोरोना वायरस पर 92 फीसद तक कारगर है। वहीं इस वैक्‍सीन का ट्रायल कई देशों में चल रहा है और इसको जल्‍द ही उपयोग में लाने की भी बात रूस की तरफ से कही जा रही है। वहीं चीन और भारत की वैक्‍सीन का भी ट्रायल चल रहा है।


कोविड-19 की रोकथाम पर विशेष जोर

जहां तक कोविड-19 की बात है तो आपको बता दें कि भारत शुरुआत से ही इस बात को कहता रहा है कि इसकी बनने वाली वैक्‍सीन किसी एक देश या किसी एक क्षेत्र तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि इसकी पहुंच को पूरी दुनिया के देशों और सबसे निचले व्‍यक्ति तक सुगम बनाया जाना चाहिए। भारत इस बात को कहता रहा है कि ये वैक्‍सीन मानवता के लिए बनाई जानी चाहिए, केवल व्‍यवसाय के तौर पर इसका इस्‍तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। प्रोफेसर दीपक का भी कहना है कि इस बैठक में दोनों देश इस संबंध में किए गए प्रयासों को साझा करेंगे और आगे की भी रणनीति पर विचार करेंगे। ब्रिक्‍स के सभी सदस्‍य देशों का मकसद अपने अलावा पूरी दुनिया में इसका प्रकोप कम करना है। यही वजह है कि कोविड-19 को लेकर चीन पर जिस तरह के सवाल पूर्व में विभिन्‍न देशों द्वारा उठाए जाते रहे हैं, इस बैठक में नहीं दिखाई देंगे


ब्रिक्‍स सदस्‍य देशों में व्‍यापार संबंधी समस्‍याओं को दूर करना

प्रोफेसर दीपक का कहना है कि ये बैठक कोविड-19 की रोकथाम के अलावा सदस्‍य देशों में व्‍यापार संबंधी समस्‍याओं को दूर करने और आपसी सहयोग बढ़ाने को लेकर भी अहम होगी। उनके मुताबिक ब्रिक्‍स में चीन की ताकत का अंदाजा सभी सदस्‍य देशों को है। वहीं एक तरफ जहां अमेरिका की आर्थिक हालत कोविड-19 के बाद से कुछ कमजोर हुई है वहीं चीन लगातार बेहतर कर रहा है। चीन चाहता है कि अमेरिका के कमजोर होने का फायदा वो उठाए। अन्‍य सदस्‍य देश भी इस बात को भलीभांति जानते हैं। यही वजह है कि वो चीन से जितना हो सके अपना फायदा करना चाहते हैं।

न्‍यू डेवलेपमेंट बैंक का दायरा बढ़ाना

आपको यहां पर ये भी बता दें कि ब्रिक्‍स सदस्‍य देशों के सहयोग से बना न्‍यू डेवलेपमेंट बैंक भी काफी बेहतर काम कर रहा है। वहीं ये विश्‍व बैंक या अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोी तर्ज पर ही आगे बढ़ रहा है। इतना ही नहीं विश्‍व की विभिन्‍न रेटिंग एजेंसियों ने इसको एक अच्‍छी रेटिंग भी दी है। ब्राजील में बनने वाले आर्थिक गलियारे के अलावा कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में सहयोग के लिए भी इस बैंक ने आर्थिक सहयोग किया है। इस बैठक में इस बैंक को और मजबूत करने और इसका दायरा बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है। इसके अलावा सस्‍टेनेबल डेवलेपमेंट गोल को लेकर भी बात हो सकती है।

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