बिहार: जेलों में बने उत्पादों की राष्ट्रीय स्तर पर होगी ब्रांडिंग,बाजार में मिलेंगे बेऊर के मसाले सहित ये समान
Bihar News: बिहार के जेलों में बने उत्पादों की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने को लेकर प्रयास किए जा रहे है. यहां के जेलों में बने सामानों की राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग की जाएगी. सरकार ने इसके लिए पहल की है. सरकार की ओर से इसके लिए बाजार तैयार होगा. बेऊर के मसाले व मुजफ्फरपुर के वुडेन क्राफ्ट अब सस्ते दामों में बाजार में उपलब्ध होगी. इसके साथ ही इसे दूसरे राज्यों में बेचा जाएगा. बेऊर के मसाले सहित मुजफ्फरपुर के वुडेन क्राफ्ट, गया के डिजाइनर ड्रेस और भागलपुर के स्टेशनरी आइटम को पूरे देश में पूरे देश में बेचा जाएगा. इसकी राष्ट्रीय स्तर पर खपत की जाएगी. बताया जा रहा है कि अब दिल्ली की तिहार जेल की तरह ही बिहार के सामानों की भी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनेगी.
‘मुक्ति’ ब्रांड के नाम से जाने जाएंगे उत्पाद
विभाग के अधिकारियों ने इस मामले में जानकारी दी है. उनके मुताबिक प्रारंभिक चरण में बिहार के आठ सेंट्रल सहित दस जेलों में बड़े पैमाने पर अलग- अलग सामग्रियों का उत्पादन किया जाएगा. इन जेलों में सरसों तेल, अलग- अलग प्रकार के मसालों के पाउडर, डिजाइनर ड्रेस, लकड़ियों के बने उत्पाद, चप्पल, हर्बल टी, फेस मास्क, वूलेन आइटम, चादर, गमछा आदि का निर्माण होगा. इसके लिए आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था हो चुकी है. वहीं, जेल में बने यह सभी उत्पाद ‘मुक्ति’ ब्रांड नाम के नाम से जाने जाएंगे.
सस्ते दामों में उपलब्ध होंगे सामान
राज्य के जेलों में अपनी सजा काट रहे कैदी अब डिजाइनर कपड़ों के साख साबुन और मसाले तैयार करेंगे. ब्रांड का नाम मुक्ति रखा गया है. यह चीजें लोगों के लिए बाजार में भी उपलब्ध होंगी. जानकारी के अनुसार इन सामानों का उत्पादन में लागत कम होगा. इस कारण यह आम लोगों के लिए सस्ते दामों में मिलेंगे. कहा जा रहा है कि इससे लोगों की जेब पर महंगाई का प्रभाव थोड़ा कम पड़ेगा. राष्ट्रीय मानक के अनुरूप इसे तैयार किया जाएगा. साथ ही इसके गुणवत्ता का भी खास ख्याल रखा जाएगा. जेल में कैदी इन सामानों को राष्ट्रीय मानक के अनुरूप तैयार करेंगे. इसका कारण है कि यह सामान प्रतिस्पर्धा में आगे निकल सकें. राज्य सरकार इनके लिए बाजार तैयार करेगी. दूसरा पक्ष है कि इससे इन जेलों में बंद कैदियों के नकारात्मक कार्यों पर रोक लगेगी. यह इनके लिए सही साबित होगा. कैदियों की कार्यकुशलता और आय में भी बढ़त होगी. जेल से छूटने के बाद वह कुशल श्रमिक के रूप में स्वरोजगार या रोजगार के लिए प्रेरित होंगे. इसके बाद वह रोजगार के लिए तैयार भी हो सकते है.
इन सामानों का होगा निर्माण
आदर्श केंद्रीय कारा, बेऊर में सरसों तेल, चना का सत्तू, जीरा, गोलकी, धनिया, मिर्च व हल्दी पाउडर, स्लाइस ब्रेड तैयार किया जाएगा. गया में डिजाइनर ड्रेस, कुर्ता पायजमा, गमछा, चादर, फिनाइल और कास्टिंग साबुन तैयार होगा. भागलपुर (सेंट्रल जेल) में सरसों तेल, मसाला पाउडर बनाया जाएगा. पूर्णिया में कैदी सरसों तेल, चना का सत्तू, मसाला पाउडर तैयार करेंगे. भागलपुर (स्पेशल सेंट्रल जेल) में प्रिंटिंग प्रेस, नोटपैड, चप्पल, आर्गेनिक कंपोस्ट, कुर्ता- पायजमा, हर्बल टी का निर्माण होगा. फुलवारीशरीफ में फेस मास्क, गमछा, चादर, कुर्ता -पायजमा, फिनाइल, कास्टिंग सोप, हैंडवॉश, मच्छरदानी, हैंडलूम साड़ी, एसिड, बाथ सोप बनाया जाएगा. छपरा में कैदी चादर, गमछा, कुर्ता- पायजामा बनाएंगे. बक्सर में वुलेन शॉल, टॉवेल, बेडशीट, लकड़ी का पालना, चकला- बेलना बनाया जाएगा. मोतिहारी में कैदी लेडिज शोल्डर बैग, लेडिज पर्स, लैपटॉप बैग, जूट का फाइल फोल्डर, पिलो कवर, रूमाल, जूट का बैग, शेविंग किट, फ्लावर स्टैंड, रोटी केस, बल्ब होल्डर, झूमर आदि का निर्माण करेंगे. इन सामानों की ब्रांडिंग भी की जाएगी. साथ ही यह आम लोगों के लिए भी उपलब्ध होगी. इसकी बिक्री बाजारों में सस्ते दामों में होने वाली है.