AAP सांसद संजय सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी राहत, यूपी में दर्ज मामलों के खिलाफ दायर की है याचिका

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सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह की याचिका पर आदेश पारित करने से इन्कार कर दिया है, जिनके खिलाफ लखनऊ में गैर जमानती वारंट जारी है। मामले में अगले हफ्ते फिर सुनवाई होगी। उन्होंने पिछले हफ्ते ही गत साल उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में उनके खिलाफ दर्ज एफआइआर को रद करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। उन्होंने कहा है कि राजनीतिक प्रतिशोध के लिए दुर्भावनापूर्ण तरीके से ये केस दर्ज कराए गए। उनपर ये एफआइआर 12 अगस्त, 2020 को लखनऊ में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के बाद दर्ज कराई गई थीं।

एक अलग याचिका में, संजय सिंह ने 21 जनवरी के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को भी चुनौती दी है, जिसमें 12 अगस्त, 2020 को प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद लखनऊ में दर्ज प्राथमिकी को खारिज करने से इनकार कर दिया गया था। उनके उनुसार उन्होंने पिछले साल 12 अगस्त को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार दूसरों पर एक विशेष जाति का पक्ष ले रही है। वकील सुमीर सोढ़ी के माध्यम से दायर रिट याचिका में कहा गया है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में याचिकाकर्ता ने समाज के एक निश्चित वर्ग के प्रति सरकार की उपेक्षा और उदासीनता जैसे कुछ सामाजिक मुद्दों को उठाया था।


संजय सिंह ने कहा है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद, उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में भाजपा के सदस्यों के कहने पर उनके खिलाफ कई एफआइआर दर्ज की गईं। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआइआर को रद करने के लिए उनके द्वारा रिट याचिका दायर की गई है। उनके खिलाफ ये एफआइआर राजनीतिक प्रतिशोध लेने और उन्हें परेशान करने के लिए दुर्भावनापूर्ण रूप दर्ज कराई गईं। उन्होंने कहा कि उन्हें आठ जिलों लखनऊ, संतकबीरनगर, खीरी, बागपत, मुजफ्फरनगर, बस्ती और अलीगढ़ में दर्ज आठ एफआइआर की जानकारी है।

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