बूंद-बूंद से घड़ा भरने की जद्दोजहद में जुटी है सरकार

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अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए खुले हाथ से खर्च का इरादा तो सरकार जाहिर कर चुकी है। लेकिन यह कोशिश भी जारी है कि खजाना को भरने के लिए कोई बूंद बेकार न जाए। ताकि इस चुनौतीपूर्ण समय में किसी को इसका भार भी महसूस नहीं हो और सरकार को खर्च के लिए पैसे भी मिल जाएं। ऐसी ही एक संभावना के तहत अब भविष्य निधि में सालाना 2.5 लाख रुपये से अधिक जमा करने पर उस अतिरिक्त राशि पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स देना होगा।

आगामी वित्त वर्ष 2021-22 के लिए पेश बजट में इसकी घोषणा की गई है और यह नियम आगामी एक अप्रैल से लागू होगा। इसमें शक नहीं कि मध्यमवर्ग जो लंबे समय से कुछ राहत की अपेक्षा कर रहा है उसे निराशा हाथ लगी है। उन्हें कोई राहत नहीं मिली बल्कि नौकरीपेशा उच्च मध्यम वर्ग पर थोड़ा बोझ ही पड़ने वाला है। लेकिन खजाने की खातिर फिलहाल सरकार इसे आजमाना चाहती है। इसके जरिये दो निशाने साधे गए हैं।


टैक्स विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक कम से कम हर साल पीएफ में स्वैच्छिक पीएफ कटौती के तहत दस हजार करोड़ रुपये जमा होते हैं जिस पर सरकार को ब्याज देना होता है और उस ब्याज पर कोई टैक्स भी नहीं लगता है। टैक्स विशेषज्ञों के मुताबिक जिनका मासिक वेतन 1.73 लाख से कम हैं, वे इस नियम से प्रभावित नहीं होने जा रहे हैं। अगर वे स्वैच्छिक रूप से अधिक कटौती कराते हैं तभी वे प्रभावित होंगे।


पीएफ में दो तरीके से पैसे जमा होते हैं। बेसिक सैलेरी की 12 फीसद राशि पीएफ में जमा होती है। वहीं कई लोग स्वैच्छिक रूप से भी पीएफ में अतिरिक्त राशि जमा करते हैं। इसका फायदा यह मिलता है कि पीएफ के खाते में जमा होने वाली राशि चाहे वह 12 फीसद के नियम के तहत काटी गई है या फिर स्वैच्छिक रूप से जमा कराई गई है पर सरकार 8.5 फीसद ब्याज देती है जिस पर कोई टैक्स नहीं देना होता है।


टैक्स विशेषज्ञ एवं चार्टर्ड अकाउंटेंट मनीष कुमार गुप्ता ने बताया कि देश में 6.48 लाख करोड़ आइटीआर फाइल करते हैं। इनमें से लगभग 2.75 करोड़ लोग टैक्स देते हैं और इनमें 65 फीसद यानी कि 1.80 करोड़ लोग वेतनभोगी है। इनमें से कम से कम 10 लाख लोग ऐसे हैं जो ऊंची सैलेरी वाले हैं और जो स्वैच्छिक रूप से पीएफ में अतिरिक्त राशि जमा करते हैं। अगर ये लोग एक लाख रुपये भी पीएफ में स्वैच्छिक रूप से जमा करते हैं तो सरकार को उन दस हजार करोड़ रुपये ब्याज देना पड़ रहा है जो स्वैच्छिक रूप से जमा किया जा रहा है। अब यह बंद हो जाएगा। इससे ब्याज की राशि बचेगी और टैक्स भी मिलेगा।

गुप्ता ने बताया कि सरकार के इस फैसले से कम और मध्यम आय वालों पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि सालाना 21 लाख रुपये से कम कमाने पर इसका कोई असर नहीं होने जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति पीएफ में सालाना तीन लाख रुपये जमा करता है तो सिर्फ पचास हजार रुपये पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगेगा। इस लिहाज से भी किसी पर खास भार नहीं पड़ेगा। हालांकि यह साफ नहीं है कि ब्याज की दर क्या होगी, लेकिन आय के टैक्स स्लैब के मुताबिक ब्याज पर टैक्स लिया जा सकता है।

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