बद से बदतर होते जा रहे हैं म्‍यांमार के हालात, सैन्‍य सरकार ने बनाया एडवाइजरी ग्रुप 

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म्‍यांमार में 1 फरवरी को लोकतांत्रिक सरकार का सेना द्वारा तख्‍तापलट की घटना के बाद हर रोज हालात तेजी से खराब हो रहे हैं। यहां के लोग अपनी चुनी गई सरकार को बर्खास्‍त करने और अपनी पसंदीदा राष्‍ट्राध्‍यक्ष ऑन्‍ग सॉन्‍ग सू की समेत अन्‍य नेताओं को हिरासत में लिए जाने से काफी नाराज हैं। यही वजह है कि यहां पर सैन्‍य सरकार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन जारी हैं। सरकार ने इन प्रदर्शनों पर लगाम लगाने के लिए जो हथकंडे अपनाए हैं उनकी पूरी विश्‍व बिरादरी निंदा कर रही है। शनिवार को सैन्‍य सरकार के खिलाफ म्‍यांमार के शहर मांडले में हुए विरोध प्रदर्शन में सेना द्वारा की गई फायरिंग और इसमें दो लोगों की मौत के बाद हालात और खराब होते दिखाई दे रहे हैं।

सैन्‍य सरकार के खिलाफ कई देश

यूरापीय संघ के उच्‍च प्रतिनिधि और उपाध्‍यक्ष जोसेप बोरेल ने प्रदर्शनकारियों पर हुई फायरिंग की निंदा करते हुए कहा है कि इस तरह की कार्रवाई को तुरंत रोका जाना चाहिए। आपको बता दें कि म्‍यांमार की सैन्‍य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ अमेरिका और कनाडा ने पहले ही प्रतिबंध लगाया हुआ है और अब ब्रिटेन ने भी प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं यदानाबोन पोर्ट के कर्मचारी भी अब सैन्‍य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में शामिल हो गए हैं। इनको रोकने के लिए बड़ी संख्‍या में जवानों को तैनात किया गया है। सैन्‍य सरकार ने अपने खिलाफ बोलने वाले किसी भी माध्‍यम को रोकने के लिए कमर कस ली है। इसके तहत विकिपीडिया पर सैन्‍य सरकार के बाबत किसी तरह की अपडेट देने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। कई जगहों पर सू की के तख्‍तापलट के साथ ही इंटरननेट पर लगी रोक जारी है।


एडवाइजरी ग्रुप का गठन

इस बीच सैन्‍य सरकार ने स्‍टेट एडमिनिस्‍ट्रेटिव काउंसिल को बदलते दौर में सलाह देने के लिए एक एडवाइजरी ग्रुप बनाया है। इसमें सात सदस्‍यों को शामिल किया गया है, जिसमें से एक अमेरिकी नागरिक है। म्‍यांमार मीडिया के मुताबिक अमेरिकी नागरिक डॉक्‍टर सलाई (एंड्रयू) नगुन कुंग लियान को इस ग्रुप में शामिल किया गया है। वे 2012 से 2015 तक म्‍यांमार पीस सेंटर और रखाइन स्‍टेट इंक्‍वायरी कमीशन, जो कि तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति यू थिन सेन के नेतृत्‍व में बना था, के लीगल कां‍उसिल रह चुके हैं। इसमें उनके अलावा तीन महिलाओं को भी शामिल किया गया है। इसमें नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के आलोचकों को भी शामिल किया गया है।


वर्षों पहले सैन्‍य सरकार की वजह से छोड़ा था देश

लियान की बात करें तो उन्‍होंने इंटरनेशनल इकनॉमिक्‍स एंड कल्‍चरल अफेयर्स में वलापरेसो यूनिवर्सिटी ये डिग्री हासिल की है। इसके बाद उन्‍होंने इंडियाना यूनिवर्सिटी के मॉर स्‍कूल ऑफ लॉ से मास्‍टर्स और डॉक्‍टरेट की डिग्री हासिल की है। म्‍यांमार में सैन्‍य शासन की ही वजह से वो 1988 में देश छोड़कर भारत आ गए थे। लियान अक्‍टूबर 1996 में म्‍यांमार से अमेरिका चले गए थे और वहां की नागरिकता हासिल कर ली थी। इसके बाद वो 2013 में म्‍यांमार में काम कर रही अमेरिका की पहली लॉ फर्म के साथ वापस लौटे थे। लियान चिन नेशनल फ्रंट (सीएनएल) और सेना के बीच शांति दूत के तौर पर काम कर चुके हैं। सीएनएल एक सशस्‍त्र संगठन है। इस संगठन ने 2015 में देशव्‍यापी युद्धविराम वाले दस्‍तावेज पर हस्‍ताक्षर किए थे। लियान म्‍यांमार इंस्टिट्यूट फॉर पीस एंड सिक्‍योरिटी के थिंक टैंक भी रह चुके हैं।


लियान के खिलाफ उठी आवाज

आपको यहां पर ये भी बताना जरूरी है कि म्‍यांमार की सैन्‍य सरकार ने उन्‍हें अपने एडवाजरी ग्रुप में ऐसे समय में शामिल किया है जब उन पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया हुआ है। साथ ही दुनिया के कई देश देश की सरकार का तख्‍तापलट करने का विरोध कर चुके हैं। लियान के इस ग्रुप में शामिल होने पर उनकी आलोचना भी की जा रही है। शुक्रवार को सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्‍योरिटी को एक अपील दायर कर उनकी नागरिकता को समाप्‍त करने के लिए भी एक कैंपेन चलाया गया। अमेरिका के देश में हो रहे प्रदर्शनों में अब बड़ी संख्‍या में सरकारी कर्मचारी और डॉक्‍टर्स भी शामिल हो गए हैं।


सैन्‍य अधिकारी के नेतृत्‍व में काम करेगा एडवाइजरी ग्रुप

म्‍यांमर में जो स्‍टेट एडमिनिस्‍ट्रेटिव कांउसिल में जिस एडवाइजरी ग्रुप का गठन किया गया है उसका नेतृत्‍व म्‍यांमार की सैन्‍य सरकार के दूसरे नंबर के सबसे बड़े अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल थन तू ओ कर रहे हैं। इस एडवाइजरी ग्रुप में सेना के दो बड़े पूर्व अधिकारियों को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा इस ग्रुप में डॉक्‍टर यिनयिन न्‍यू, डॉ यिनयिन ओ और डॉ खिन ओ ह्लेनिंग शामिल हैं। इस ग्रुप में शामिल लोगों में तीन कानूनी और विदेश मामलों के विशेषज्ञ हैं। डॉक्‍टर न्‍य इससे पहले यू थिन सेन की सरकार में चीफ एजूकेशन एडवाइजर रह चुके हैं। वे एक जियोलॉजिस्‍ट हैं जो 1991 से 2011 तक यूनिसेफ के साथ काम कर चुकी हैं। अगस्‍त 2012 में उन्‍हें रखाइन स्‍टेट के लिए बनाई गई इंक्‍वायरी कमीशन का सदस्‍य बनाया गया था।


यूएन ने की लोकतंत्र बहाली की अपील

गौरतलब है कि पिछले सप्‍ताह संयुक्‍त राष्‍ट्र महासचिव एंटोनियो गुटारेस ने भी सैन्‍य सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की निंदा की थी। उन्‍होंने कहा था कि ये सरकार ने लोगों की आवाज को दबाने और मानवाधिकारों को दबाने का काम कर रही है। इस मकसद को पूरा करने के लिए इस सरकार ने सड़कों पर हजारों जवानों को बख्‍तरबंद गाडि़यों के साथ उतारा हुआ है। ये सरकार विरोध प्रदर्शन करने वालों के साथ बड़ी बेरहमी से पेश आ रही है। उन्‍होंने यूएन के सभी सदस्‍यों से कहा था कि वो म्‍यांमार में लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था की बहाली के लिए एक संगठित प्रयास करें। उन्‍होंने म्‍यांमार की सैन्‍य सरकार से भी अपील की थी कि वो लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था को तुरंत बहाल करे।

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