परेशान करने वाला है खाने की बर्बादी का ये आंकड़ा, ब्रिटेन के लोग जितना खाते हैं…
चीन में इन दिनों ऑपरेशन इंप्टी प्लेट अभियान चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य लोगों को प्रेरित करना है कि जितने भोजन की जरूरत हो केवल उतना ही खाएं। साथ ही चीन सरकार ने एक कानून भी बनाया है, जिसमें खाना बर्बाद करने वाले लोगों या फिर रेस्तरां पर जुर्माने का प्रविधान किया गया है। चीन में हर साल कुल साढ़े तीन करोड़ टन खाना बर्बाद होता है। यानी चीन के कुल खाद्यान्न उत्पादन का छह प्रतिशत। हाल में सऊदी अरब में भी किया गया एक ऐसा ही प्रयास चर्चा के केंद्र में रहा। दरअसल प्रति घर सालाना 260 किलोग्राम एवं वैश्विक औसत 115 किलोग्राम खाना बर्बाद करने वाले सऊदी अरब ने इस भयावह समस्या से निजात के लिए एक विशेष तरह की थाली का निर्माण किया है। कहा जा रहा है कि नया डिजाइन खाने की बर्बादी 30 प्रतिशत तक कम करता है।
आज इसी तरह खाने की बर्बादी को रोकने के लिए भारत में भी उपाय किए जाने की सख्त दरकार है। एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल ब्रिटेन के लोग जितना खाना खाते हैं, उतना हम बर्बाद कर देते हैं। भारत जैसे देश में जहां लाखों लोग भूखे पेट सोने के लिए मजबूर हैं, वहां खाने की बर्बादी के ये आंकड़े परेशान करने वाले हैं। भारत में खाने की बर्बादी सबसे ज्यादा सार्वजनिक समारोहों में होती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश में उत्पादन का करीब 30 फीसद खाद्यान्न बर्बाद हो जाता है। भारत के कुल गेहूं उत्पादन में करीब दो करोड़ टन गेहूं बर्बाद हो जाता है। इतने बड़े पैमाने पर अन्न की बर्बादी हैरान करने वाली है। खुद कृषि मंत्रलय के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में करीब 50 हजार करोड़ रुपये की कीमत का अन्न हर साल बर्बाद होता है। इतना अन्न बिहार जैसे राज्य की कुल आबादी को एक साल तक भोजन उपलब्ध करा सकता है।
समझना होगा कि खाने की बर्बादी पर नियंत्रण साझा प्रयासों से ही संभव है। इसके लिए सभी को मिलकर सामाजिक चेतना लानी होगी। आज हमें अपने दर्शन और परंपराओं की ओर लौटने की आवश्यकता है, जिसमें अन्न को ब्रrा और उसके अपव्यय को पाप माना गया है। धर्मगुरुओं एवं स्वयंसेवी संगठनों को आगे आकर जनमानस में खाने की बर्बादी के प्रति जागरूकता लाने की पहल करनी चाहिए। साथ ही अनाज भंडारण एवं वितरण प्रणाली प्रबंधन को लेकर भी सावधानी बरतनी होगी, क्योंकि भारत में भंडारण की पर्याप्त क्षमता नहीं होने की वजह से भी अनाज बर्बाद होता है। एक अनुमान के मुताबिक चावल के मामले में 1.2 किलो प्रति क्विंटल और गेहूं के मामले में 0.95 किलो प्रति क्विंटल का नुकसान होता है। अगर सरकार को 2030 तक भारत को भूखमुक्त करने का संकल्प साकार करना है तो संबंधित दीर्घकालीन योजनाओं को और भी सख्ती से लागू करना होगा।