नैनोस्निफर’ 10 सेकंड में देगा विस्फोटकों की जानकारी, शिक्षा मंत्री निशंक ने की ‘मेड इन इंडिया डिवाइस’ की सराहना

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देश की सुरक्षा के मद्देनजर हवाईअड्डों, रेलवे स्टेशनों, मेट्रो स्टेशनों, होटल, मॉल एवं अन्य सार्वजनिक स्थलों पर विस्फोटकों का पता लगाने या कांट्राबैंड डिटेक्शन करने में जिस तकनीक का इस्तेमाल होता रहा है, वह ज्यादातर विदेशों से आयात किया जाता है। इसमें भारी रकम खर्च करनी पड़ती है। ऐसे में प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के आह्वान से प्रेरणा लेकर भारतीय कंपनियों, टेक स्टार्ट अप एवं आइआइटी जैसे उच्च शैक्षिक संस्थानों ने शोध एवं इनोवेशन के जरिये नई तकनीक विकसित करने पर अपना फोकस बढ़ाया।

इसी का एक ताजा परिणाम है आइआइटी बॉम्बे में इनक्यूबेट किये गये स्टार्ट अप नैनोस्निफ टेक्नोलॉजीज द्वारा विकसित किया गया डिवाइस- एक्सप्लोसिव ट्रेस डिटेक्टर। बाजार में उपलब्ध दूसरे डिवाइसेज की अपेक्षा इस देसी उपकरण की कीमत महज १० लाख रुपये है। नैनोस्निफर का ऑनलाइन लोकार्पण करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि इस डिवाइस का शोध, विकास एवं निर्माण देश में हुआ है। इस तरह के कम खर्चीले उपकरणों का निर्माण होने से हमारी आयात पर निर्भरता कम होगी। वहीं, अन्य स्टार्ट अप एवं मध्यम उद्योगों को भी भारत में ही शोध एवं नवन्मेष करने की प्रेरणा मिलेगी।

डीआरडीओ एवं एनएसजी ने किया प्रारंभिक परीक्षण

बीते नौ वर्षों से ‘नैनोस्निफर’ के विकास पर कार्य कर रहे ‘नैनोस्निफ टेक्नोलॉजीज’ के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर डॉ. नितिन काले की मानें, तो विस्फोटकों को डिटेक्ट करना एक बड़ी चुनौती रही है। लेकिन एक्सप्लोसिव ट्रेस डिटेक्टर डिवाइस (ईटीडी) ‘नैनोस्निफर’ मात्र 10 सेकंड में किसी भी विस्फोटक को डिटेक्ट कर सकता है। यह मिलिट्री, कंवेंशनल, कॉमर्शियल एवं होममेड, हर प्रकार (हर आकार, रंग, टेक्सचर) के विस्फोटकों का पता लगा सकता है। यहां तक कि यह नैनो-ग्राम में भी विस्फोटकों को डिटेक्ट कर सकता है। अच्छी बात यह है कि पुणे स्थित डीआरडीओ के हाई एनर्जी मैटीरियल रिसर्च लैबोरेटरी (एचईएमआरएल) में इसका सफल परीक्षण किया जा चुका है। इसके अलावा, देश की शीर्ष काउंटर टेरर फोर्स, नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) ने भी इसका परीक्षण किया है। आइआइटी दिल्ली के निदेशक एवं नैनोस्निफ टेक्नोलॉजीज के चेयरमैन प्रो. वी रामगोपाल राव के अनुसार, आइआइटी दिल्ली, आइआइटी बॉम्बे एवं अन्य कंपनियों ने साथ मिलकर जिस तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा हित में इस डिवाइस का विकास एवं निर्माण किया है, वह भविष्य के लिए उम्मीद जगाता है। मैं मानता हूं कि हमें समस्या आधारित शोध को प्रोत्साहित करना चाहिए और उसे इंडस्ट्री के साथ मिलकर विकसित करना चाहिए, ताकि व्यापक समाज को लाभ हो।

शैक्षिक संस्थानों व उद्योगों को मिलकर करना होगा काम

‘नैनोस्निफ टेक्नोलॉजीज’ ने विहांत टेक्नोलॉजीज के साथ मिलकर इस प्रोडक्ट को मार्केट में लॉन्च करने का फैसला किया है। विहांत के सीईओ एवं ‘नैनोस्निफ टेक्नोलॉजीज’ के निदेशक कपिल बर्डेजा कहते हैं कि शैक्षिक संस्थानों एवं उद्योग जगत के साथ इस तरह का टाईअप निश्चित तौर पर शोधकर्ताओं को बल देगा। इससे इनोवेशन को भी बढ़ावा मिलेगा। हमारी कोशिश रहेगी कि इस देसी टेक्नोलॉजी को विदेश तक ले जाएं।

हालांकि, आइआइटी दिल्ली के निदेशक डॉ. राव ने इस बात पर चिंता जतायी कि जिस तरह से देश में इनोवेशन हो रहे हैं, उस अनुसार पेटेंट फाइल नहीं हो पा रहे हैं। उन्होंने नैनोटेक्नोलॉजी क्षेत्र में किये गये एक अध्ययन का उदाहरण देते हुए बताया कि यहां अगर 300 रिसर्च पेपर तैयार हो रहे हैं, तो उसमें सिर्फ एक पेटेंट ही दाखिल हो पा रहा है। जबकि अमेरिका में हर पांच रिसर्च पेपर पर एक पेटेंट फाइल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस पर गंभीरता से कार्य करने की जरूरत है। आइआइटी दिल्ली इस पर काफी काम कर रहा है। हम पेटेंट फाइल करने को प्राथमिकता दे रहे हैं। कोविड के दौरान भी हमने 153 पेटेंट फाइल किये हैं।

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