नेपाल में राजनीतिक संकट ; ओली सरकार ने एक जनवरी से उच्च सदन के शीतकालीन सत्र को बुलाने की सिफारिश की

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नेपाल प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार ने राष्ट्रपति को संसद के उच्च सदन के शीतकालीन सत्र को 1 जनवरी को बुलाने की सिफारिश की है। लगभग एक सप्ताह पहले निचले सदन को भंग कर दिया गया था। राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने रविवार को प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव को भंग कर दिया और मध्यावधि चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी। इसके बाद से ही नेपाल राजनीतिक संकट में फंस गया है। इसका सत्तारूढ़ पार्टी का एक धड़ा और विभिन्न विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं।

शुक्रवार शाम को आयोजित एक कैबिनेट बैठक में सिफारिश की गई कि राष्ट्रपति एक जनवरी को नेशनल असेंबली के शीतकालीन सत्र को बुलाएं। शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए हृदयेश त्रिपाठी ने काठमांडू पोस्ट को बताया।प्रधानमंत्री ओली द्वारा मंत्रिमंडल में फेरबदल करने के लिए बैठक आयोजित की गई थी। इस दौरान कैबिनेट में पांच पूर्व माओवादी नेताओं समेत आठ मंत्रियों को शामिल किया गया और उनके पांच मंत्रियों के पोर्टफोलियो को बदला गया। रविवार को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के भंग होने के बाद प्रचंड के नेतृत्व वाले गुट के सात मंत्रियों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था।

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सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा 2 जुलाई को संसद का बजट सत्र बुलाया गया था। नेपाल के संविधान के अनुसार, दो संसद सत्रों के बीच का अंतर छह महीने से अधिक नहीं हो सकता है। पार्टी में इस्तीफा देने की बढ़ रही विरोधियों की मांग के बीच ओली पर संसद के शीतकालीन सत्र को बुलाने का दबाव भी था। इसके बजाय, उन्होंने रविवार को निचले सदन को भंग करने का फैसला किया। उनके इस कदम की संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञों द्वारा आलोचना की गई। उन्होंने इस असंवैधानिक करार दिया। नेपाल सुप्रीम कोर्ट इसके खिलाफ 13 मामलों की सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने शुक्रवार को सरकार के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया।

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