दूसरे दिन भी नहीं दिखी छात्रों की भीड़, मास्‍क और सैनिटाइजर का हो रहा इस्‍तेमाल

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राजधानी में 10 माह बाद स्कूल खुलने के दूसरे दिन भी छात्रों में स्कूल जाने को लेकर उत्साह दिखा। कड़ाके भरी ठंड में सुबह से ही छात्र कंधे पर बस्ता टांगे और मुंह पर मास्क लगाए हुए स्कूल पहुंचे। हालांकि, पहले दिन के मुकाबले दूसरे दिन स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ने की उम्मीद थी। लेकिन, दूसरे दिन भी संख्या में ज्यादा वृद्धि देखने को नहीं मिली।

दूसरे दिन भी शिक्षकों ने छात्रों को बोर्ड परीक्षा को लेकर तैयारियां कराई। छात्रों की बोर्ड परीक्षाओं को देखते हुए मौखिक कक्षाओं के साथ-साथ प्रायोगिक कक्षाएं भी लग रही हैं। छात्रों को शिक्षक प्रायोगिक विषयों की फाइल बनवाने के साथ-साथ अन्य विषयों के भी सैंपल पेपर को हल करवा रहे हैं।

राजेंद्र नगर स्थित मानव स्थली स्कूल की शिक्षिका ने बताया कि स्कूल में छात्रों की मौजूदगी देखकर बहुत खुशी हुई। छात्रों को बोर्ड के घटे हुए पाठ्यक्रम के हिसाब से तैयारी कराई जा रही है। जिन छात्रों को किसी विषय में समस्या हो रही है उनकी संदेह कक्षाएं भी लग रही हैं। वहीं, दरियागंज स्थित एचएमडीएवी स्कूल के प्रधानाचार्य रमाकांत तिवारी ने बताया कि उन्होंने कक्षा को दो भागों में बांटा है। इसमें छात्रों को बारी-बारी से स्कूल बुलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पहले दिन छात्रों की संख्या बहुत कम थी। दूसरे दिन कुछ छात्र बढ़े हैं लेकिन फिर भी ये संख्या अभी भी कम है। उन्होंने कहा कि स्कूल के शिक्षक अभिभावकों से बात कर रहे हैं और उन्हें समझा भी रहे हैं कि ये कक्षाएं छात्रों के लिए कितनी महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल कक्षाओं में छात्रों को बोर्ड के सैंपल पेपर हल कराए जा रहे हैं।

लंबे समय बाद छात्रों को स्कूल देख कर बहुत प्रसन्नता हुई। अभी तक छात्र आनलाइन माध्यम से ही पढ़ाई कर रहे थे। लेकिन छात्रों की वापस स्कूल लौटता देख अच्छा लगा। ये कक्षाएं छात्रों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन कक्षाओं के माध्यम से वह बोर्ड परीक्षाओं की बेहतर तैयारी कर सकेंगे।

गय्यूर अहमद, प्रधानाचार्य, सर्वोदय बाल विद्यालय नंबर-1 (उर्दू माध्यम), जामा मस्जिद


एक कंप्यूटर की शिक्षिका होने के नाते मैंने हमेशा छात्रों को व्यावहारिक कक्षाओं के महत्व पर जोर दिया है। हालांकि, पिछले कुछ महीनों में हम ऐसा नहीं कर पाएं हैं। फिर भी हमने छात्रों की आनलाइन माध्यम से पढ़ाई जारी रखी। स्कूल में भी छात्रों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी इंतजाम किए गए थे।हर कक्षा में अधिकतम दस छात्रों के बैठने की ही व्यवस्था की गई थी। वहीं, कंप्यूटर लैब में भी प्रत्येक छात्र को अलग-अलग कंप्यूटर प्रणाली (सिस्टम) पर दूर-दूर बैठाया गया था।


अंजलि गुलाटी, शिक्षिका

लगभग 10 महीने बाद फिर से स्कूल परिसर में शारीरिक कक्षाएं शुरू की गई हैं। छात्रों को वापस बुलाने के लिए सभी जरूरी तैयारी पहले से कर ली गई थी। शारीरिक दूरी को भी बनाए रखने के लिए कक्षाओं को पहले से तैयार किया गया था। छात्रों ने भी कोरोना के सभी नियमों का पालन किया।

तपस्या बैनर्जी, शिक्षिका

स्कूल आकर बहुत अच्छा लगा। प्रायोगिक कक्षाएं बहुत जरूरी थी इसलिए मैंने अपने माता-पिता को समझाया था कि स्कूल भेजने की अनुमति दे दे। क्योंकि विज्ञान संकाय का छात्र होने के नाते मेरे लिए रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान के प्रयोग सीखना बहुत जरूरी था। जो शायद ही आनलाइन कक्षाओं में सीख पाता।


शुभम शर्मा, छात्र

स्कूल आने की वाकई बहुत जरूरत महसूस हो रही थी। स्कूल में दोस्तों और शिक्षकों से मिलकर बहुत अच्छा लगा। हालांकि स्कूल में काफी कुछ नया सा लग रहा था। अब सब छात्र एक दूसरे से उचित दूरी बनाकर बैठे हुए है। उम्मीद है जिंदगी पहले की तरह सामान्य हो और सभी सहपाठी पहले की तरह स्कूल आने लगे।

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