जानें -भारत के लिए क्यों ज्यादा मुफीद है ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन, फरवरी तक आ सकती हैं दो वैक्‍सीन

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फाइजर, मॉडर्ना व गेमेलिया के बाद सोमवार को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी एस्ट्राजेनेका ने भी अपनी वैक्सीन की परीक्षण रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है। विकासकर्ताओं के अनुसार यह वैक्सीन समग्र रूप से कोरोना वायरस के खिलाफ 70 प्रतिशत कारगर साबित हुई है। भले ही फाइजर, मॉडर्ना व गेमेलिया की वैक्सीन परीक्षण के दौरान 90-95 फीसद कारगर रही हैं, लेकिन माना जा रहा है कि भारत के लिए ऑक्सफोर्डएस्ट्राजेनेका की वैक्सीन ज्यादा मुफीद होगी। आइए जानते हैं कि किन कारणों से यह वैक्सीन अपने देश के लिए ज्यादा मुफीद होगी…

देश में ही होगा निर्माण

फाइजर व मॉडर्ना जहां अमेरिकी कंपनी हैं, वहीं गेमेलिया का संबंध रूस से है। इनके विपरीत ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका ने जिस वैक्सीन का विकास किया है, उसका निर्माण भारत के सीरम इंस्टीट्यूट में होगा। यानी, यह वैक्सीन भारतीयों के लिए सहज ही पहुंच में होगी। माना जा रहा है कि इसकी 10 करोड़ खुराक की पहली खेप करीब एक महीने बाद ही यानी जनवरी 2021 तक आ सकती है, जिसका इस्तेमाल स्वास्थ्य कर्मियों व बुजुर्गों के लिए किया जाएगा।


फरवरी तक आ सकती हैं दो वैक्सीन

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन सीमित मात्रा में जनवरी तक प्रयोग में लाई जा सकती है। सबसे पहले यह वैक्सीन 70 लाख स्वास्थ्य कर्मियों व दो करोड़ फ्रंट लाइन वर्कर्स को उपलब्ध कराई जाएगी। भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के पहले व दूसरे चरण के परीक्षण आंकड़े अगर आ जाते हैं तो आपातकालीन आधार पर उसे भी इस्तेमाल की हरी झंडी दी जा सकती है। इसका मतलब है कि देश में फरवरी तक दो वैक्सीन उपलब्ध हो सकती हैं।


कितनी सुरक्षित

ब्रिटेन, ब्राजील व दक्षिण अफ्रीका में अप्रैल से चल रहे हैं परीक्षणों में शामिल 24 हजार स्वयंसेवकों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। विज्ञानियों का दावा है कि परीक्षण के दौरान वैक्सीन का कोई गंभीर प्रतिकूल प्रभाव सामने नहीं आया। हालांकि, गले में खराश व थकान जैसे मामूली प्रतिकूल प्रभाव के आंकड़ों को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।


भंडारण व परिवहन की सुविधा

फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन मैसेंजर आरएनए यानी एमआरएनए तकनीक पर आधारित हैं। इसके कारण इन्हें क्रमश: -70 व -20 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखना पड़ेगा। ऐसे में इनका भंडारण और परिवहन ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा। इनके विपरीत ऑक्सफोर्डएस्ट्राजेनेका की वैक्सीन वेक्टर आधारित है, जिसे 2-8 डिग्री सेल्सियस पर रखा जा सकता है। इस प्रकार इस वैक्सीन के वितरण में भी दिक्कत नहीं आएगी।


कीमत भी होगी कम

आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की दो खुराक की कीमत 1000 रुपये तक हो सकती है। हालांकि, सरकार जब बड़े पैमाने पर इसकी खरीद करेगी तो कीमत महज 500-600 रुपये रह जाएगी। उधर, फाइजर व मॉडर्ना की वैक्सीन की कीमत 3-4 हजार हो सकती है।

ऐसे हुआ परीक्षण

ब्रिटेन व ब्राजील में हुए तीसरे चरण के परीक्षण में पाया गया कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोरोना से 70.4 फीसद तक रक्षा कर सकती है। 20 हजार से ज्यादा स्वयंसेवकों पर इसका परीक्षण किया गया, जिनमें से आधे ब्रिटेन के हैं। जांचकर्ताओं ने दो खुराक हासिल करने वाले 30 लोगों तथा सीमित खुराक वाले 101 लोगों के आंकड़ों का अध्ययन किया। पाया गया कि जिन्होंने दो बार पूरी खुराक ली थी, उन पर वैक्सीन 62 फीसद असरदार रही। लेकिन, इसका प्रभाव तब 90 फीसद हो जाता है, जब पहली बार इसकी आधी खुराक दी जाए और इसके बाद पूरी खुराक।

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