छापेमारी में कंप्यूटर डाटा सहेजने पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस, शिक्षाविदों ने डाली है याचिका, जाने पूरा मामला

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कुछ शैक्षणिक समूह और शोधकर्ताओं की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इस याचिका में कहा गया है कि किसी भी मामले में जांच के दौरान पुलिस को जब्त किए गए कंप्यूटरों में बंद शैक्षणिक और शोध कार्यो को सुरक्षित रखने के लिए सभ्य तरीके से काम करना चाहिए। साथ ही अदालत (Supreme Court) से ऐसे मामलों के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की है।

चार हफ्ते में मांगा जवाब

बुधवार को जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस संबंध में केंद्र सरकार को अपना जवाब चार हफ्ते में देने को कहा है। कोर्ट (Supreme Court) ने अपने आदेश में कहा कि वरिष्ठ वकील चाहते हैं कि दिशा-निर्देश दुनिया के अन्य देशों में जैसे ऐसे मामलों से निपटते हैं उस आधार पर हों। लेकिन इस समय पहले केंद्र सरकार को नोटिस दिया जाएगा ताकि वह चार हफ्ते में अपना जवाब दाखिल कर दे। उसके बाद ही राज्यों को नोटिस जारी किया जाएगा।


याचिका में यह दलील

याचिकाकर्ता प्रोफेसर राम रामास्वामी, सुजाता पटेल, एम.माधव प्रसाद, मुकुल केसवन, पर्यावरणविद व अर्थशास्त्री दीपक मलघन ने अपनी याचिका में कहा कि जांच एजेंसियों की छापेमारी में कंप्यूटर और ड्राइव जब्त होने के बाद शिक्षाविद अपने जीवन भर का शैक्षणिक कार्य या शोध कार्य गंवा देते हैं।

निजी डाटा की सुरक्षा की चिंता


याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों को छापेमारी में कंप्यूटर जब्त करने की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के दिशा-निर्देश देने को कहा गया है। ताकि जांच और परीक्षण के दौरान डिजिटल और इलेक्ट्रानिक डिवाइसों में उनका निजी डाटा संरक्षित और सुरक्षित रहे। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जो भी सामग्री जब्त की गई है उसकी एक प्रति आरोपित के पास रीड ओनली फॉर्मेट के तौर पर मौजूद रहे। यानी जिस फाइल में कोई हेरफेर न किया जा सके।

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