गेम-चेंजर साबित हुई NSA समेत अन्य अधिकारियों की ये चाल, चीन को मजबूरन हटना पड़ा पीछे

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जैसा कि पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से भारत और चीन अपने सैनिकों, हथियारों और अन्य सैन्य उपकरणों को पीछे हटाने में लगे हैं। इस बीच एक बड़ा खुलासा हुआ है, जिसमें चालबाज चीन को पीछे हटाने को लेकर भारत के बड़े अधिकारियों ने भी एक चाल चली। बताया गया कि पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर ऊंचाइयों पर कब्जा करने की भारतीय चाल पूरे संघर्ष में गेम-चेंजर साबित हुई और यह सुनिश्चित किया कि दोनों पक्ष आपस में दूरी बनाते हुए स्थानों से वापस पीछे आ जाए।

सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अगुवाई में सैन्य कमांडर जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवने सहित सैन्य कमांडरों के साथ हुई बैठकों के दौरान उभरे संघर्ष क्षेत्र में चीन पर बढ़त हासिल करने के लिए ऊंचाइयों पर कब्जा करने का विचार आया था। 29 अगस्त से 30 अगस्त के बीच किए गए एक स्विफ्ट ऑपरेशन में, भारतीय सेना ने उस परिसर में कई अन्य महत्वपूर्ण ऊंचाइयों के साथ-साथ रेजांग ला, रिचेन ला और मोखपारी सहित चीनी पोस्ट्स को देखने के लिए महत्वपूर्ण रणनीतिक ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया।


सूत्रों ने कहा कि सैन्य कमांडरों की इन बैठकों के दौरान तिब्बतियों सहित विशेष फ्रंटियर फोर्स का उपयोग करने का विचार भी चला।

सुरक्षा संस्थान के सूत्रों ने कहा कि चीनी सेना के आक्रमण से निपटने के लिए भारतीय प्रतिक्रिया को सख्त करने में सीडीएस जनरल रावत, सेना प्रमुख जनरल नरवाना और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया द्वारा किए गए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई।

सूत्रों ने पूर्वी क्षेत्र में सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस सहित सुरक्षा बलों के बीच घनिष्ठ समन्वय को भी सराहा। कहा गया कि इनके कारण वहां चीन अपनी मनमानी नहीं दिखा सका। बता दें कि लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान पूर्वी सेना के कमांडर हैं और एसएस देसवाल आईटीबीपी के प्रमुख हैं।


सूत्रों ने कहा कि भारतीय वायु सेना की लड़ाकू संपत्तियों की तैनाती और राफेल लड़ाकू विमानों की त्वरित तैनाती के साथ-साथ अन्य बेड़े ने भी विरोधी दल को स्पष्ट संदेश भेजा कि भारतीय पक्ष किस हद तक उनसे निपटने के लिए तैयार है। सेना ने स्थिति से निपटने के लिए सभी क्षेत्रों में अपने सैनिकों को भारी मात्रा में तैनात किया गया।

सेना प्रमुख जनरल नरवने ने 10 फरवरी के आसपास दोनों पक्षों के बीच पंगोंग झील के दोनों किनारों से सेना वापसी को लेकर पूरे राष्ट्र को श्रेय दिया और संघर्ष में सैन्य प्रतिक्रिया के लिए एनएसए के सुझावों को भी महत्वपूर्ण माना। प्रमुख ने बुधवार को एक वेबिनार में कहा, ‘हमारी कई बैठकें हुईं और इनमें हमारे एनएसए ने जो सलाह दी वह भी बेहद काम की है।

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