कोरोना वैक्सीन के 10 अरब डोज की डील पूरी, जानें-कौन देश कितने टीके ले रहा है
दुनिया में इस वक्त 200 से ज्यादा कोरोना वैक्सीन का विकास और क्लीनिकल परीक्षण चल रहे हैं। इनमें से करीब 10 वैक्सीन ट्रायल के तीसरे चरण में हैं और इनमें से कई को आपात या सीमित मंजूरी भी मिल चुकी है। वहीं कई वैक्सीन निर्माता बाजार में कोविड-19 वैक्सीन उतारने से पहले कई देशों के साथ करार कर चुके हैं। इन करार के अनुसार वैक्सीन निर्माता कंपनियां इन देशों को वैक्सीन के करोड़ों डोज उपलब्ध कराएंगी। दुनिया में करीब 10 अरब डोज का करार या तो हो चुका है या वार्ता चल रही है (चार दिसंबर तक के करार)।
वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों पर काम करने वाली संस्था द लांच एंड स्केल स्पीडोमीटर की टीम ने वैक्सीन उपलब्धता और निर्माण संबंधी डाटा का विश्लेषण किया, ताकि यह समझ विकसित हो सके कि दुनिया इस चुनौती का कैसे सामना करने वाली है।
वैक्सीन निर्माण की क्षमता सीमित है
शोधकर्ताओं के मुताबिक, वैक्सीन निर्माण की क्षमता सीमित है। इसलिए दुनिया की कुल आबादी तक वैक्सीन पहुंचाने में 2023 या 2024 का वक्त लगेगा। विनिर्माण क्षमता का विस्तार लक्षित निवेश के साथ किया जा सकता है, लेकिन केवल एक हद तक।
कोवैक्स से दो अरब डोज होंगे उपलब्ध
इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोवैक्स एलाइंस का निर्माण किया है, ताकि सभी को समान रूप से वैक्सीन उपलब्ध कराई जा सके। एक वैश्विक तंत्र बनाया गया है ताकि वैक्सीन के विकास, निर्माण और बिक्री सभी देशों के लिए समान रूप से उपलब्ध हो। ज्यादातर उच्च और मध्यम आय वाले देश कोवैक्स को फंड उपलब्ध कराएंगे और कम आय वाले देशों को इस फंडिंग में कवर किए जाएंगे।
-2 अरब डोज उपलब्ध कराए जाएंगे कोवैक्स के जरिए 2021 के अंत तक
-यह वैक्सीन कोरोना के उच्च खतरे वाले लोगों को पहले दी जाएगी
-20 फीसदी जनसंख्या को कोरोना वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी इसके जरिए
-सेल्फ वित्तीय व्यवस्था के जरिए ये देश अपने हिसाब से डोज खरीद सकते हैं
तेजी से हो रहे करार
भले ही सभी देशों को समान रूप से वैक्सीन उपलब्ध कराने की बात की जा रही है, लेकिन कई देश वैक्सीन खरीद के लिए तेजी से पहल कर रहे हैं। ताकि वे समय से अपनी जनसंख्या को वैक्सीन दे सकें। अब तक 7.3 अरब डोज का करार इन देशों और वैक्सीन निर्माता कंपनियों के बीच हो चुका है। वहीं 2.65 अरब डोज को लेकर समझौता वार्ता चल रही है।
कैसे हुआ यह विश्लेषण
द लॉन्च एंड स्केल स्पीडोमीटर के मुताबिक, इस विश्लेषण के लिए सभी कोरोना वैक्सीन, उनकी स्थिति, निर्माण, खरीद को लेकर हुए समझौतों, संभावित खरीद को लेकर हो रही बातचीत का विश्लेषण किया गया। साथ ही यह देखा गया कि किस देश में कितना संक्रमण फैल चुका है, उन्होंने कितनी वैक्सीन का आवंटन किया है और वितरण की क्या योजना है। इसके अलावा स्वास्थ्य सेवा से जुड़े अधिकारियों के इंटरव्यू करके यह जानने की कोशिश की गई कि वैक्सीन आवंटन और वितरण संबंधी क्या समस्याएं हैं।