दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने सोमवार को केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री के साथ किसानों के मुद्दे पर बातचीत की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के सामने तीन मांगें रखी हैं। पहली स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर किसानों की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया जाए। किसान जिन तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे है। इन्हें निरस्त किया जाए। तीसरी मांग रखी है कि पराली को नष्ट करने के लिए पूसा इंस्टीट्यूट ने जो बायो डिकम्पोजर तैयार किया है। इसे दूसरे राज्यों को अपनाने के लिए भी कहा जाए।
दिल्ली के कृषि मंत्री गोपाल राय ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि दिल्ली, हरियाणा और पंजाब के किसानों की बेहतरी के लिए केंद्र सरकार की ओर से बैठक बुलाई गई थी। जिसमें केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला और राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने हिस्सेदारी की। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को भी बैठक में आना था, लेकिन वे शामिल नहीं हुए। केंद्रीय मंत्रियों के अलावा हरियाणा के कृषि मंत्री, दिल्ली के कृषि मंत्री होने के नाते मैं, पंजाब के अधिकारी, आईसीएआर के सचिव और निदेशक त्रिलोचन महापात्रा समेत केंद्र और राज्य सरकारों के अलग-अलग कृषि अधिकारी मौजूद थे। बैठक में किसानों के लिए अलग-अलग अनुसंधान और आय बढ़ोतरी को लेकर चर्चा हुई।
गोपाल राय ने कहा कि मैंने आज इस बैठक में अपनी बात केंद्र सरकार के सामने किसानों की तरफ से मुख्य तौर पर तीन बिंदुओं में रखी। पहला, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और पूरे देश के अंदर किसानों की अगर आय बढ़ानी है, तो स्वामीनाथन कमेटी के रिपोर्ट के अनुसार मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) को इस देश के अंदर लागू करना होगा। एमएसपी आज भी लागू है लेकिन स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार नहीं है। सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि उस एमएसपी पर भी किसानों की फसल की खरीदारी नहीं होती है। कई राज्यों में आज एमएसपी 1800 रुपए के आसपास है, लेकिन किसानों को 800 से 1200 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से अपनी फसल को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इसलिए हमने दोनों केंद्रीय राज्य मंत्रियों के सामने बात उठाई है कि किसानों की मांग है कि एमएसपी के लिए कानून बनाया जाए।