करोड़ों की जमीन को कौड़ियों के भाव खरीदते थे मुख्तार के गुर्गे, बोलने पर मांगते थे रंगदारी

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पश्चिमी यूपी में जरायम की दुनिया में मुख्तार अंसारी के गुर्गों का कोई सानी नहीं था। यदि कीमती जमीनों पर नजर पड़ जाए तो वो उसको साम, दाम, दंड, भेद सब अपनाकर हासिल कर ही लेते थे। करोड़ों की जमीन को जबरन बेचने के लिए कहा जाता था।
यदि सामने वाला बेचने के लिए राजी न हो तो उसे घर से उठाकर ले जाते थे और कागजों पर साइन करवा लेते थे। मुख्तार के इस काले कारोबार में दिल्ली के भी कुछ शातिर बदमाश शामिल थे। ये लोग दिल्ली में भी इसी तरह से जमीन को कम दाम में खरीदने और कब्जा करने में मुख्तार के नाम का इस्तेमाल करते थे।
और तो और साइन करवाने के बाद जमीन के एवज में जो चेक दिया जाता था वो बाउंस हो जाता था। एक बार बाउंस होने के बाद यदि जमीन बेचने वाला दुबारा से चेक मांगने की हिम्मत कर पाता तो उसे वो भी दिया जाता। मगर गुर्गे चेक को फिर से बाउंस करा देते। तीसरी बार चेक मांगने पर पिस्टल लगा दी जाती थी, साथ ही गुंडा टैक्स भी मांगा जाता था।


बनारस में ऐसा ही एक मामला सामने आया था जिसमें पीड़ित ने हिम्मत करके थाने में अपनी शिकायत दर्ज कराई थी, ये मामला भी एक समय सुर्खियों में था। अब जब मुख्तार अंसारी वापस यूपी की बांदा जेल में पहुंच गया है तो इस तरह के तमाम मामलों को खुलने की उम्मीद फिर से जगी है। साथ ही पीड़ितों को लग रहा है कि अब उनको न्याय मिल पाएगा।

बात साल 2016 की बनारस की है। इन दिनों ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। बनारस के रहने वाले आरिफ के अनुसार उसके पिता ने वर्ष 1962 में मौजा जोल्हा परगना देहात अमानत में एक बीघा जमीन खरीदी थी। पिता की मौत के बाद वह जमीन आरिफ और उसके दो अन्य भाईयों के नाम दर्ज हो गई। साल 2016 में मुख्तार अंसारी से जुड़े लोगों की नजर उस जमीन पर पड़ गई तो वो लोग आरिफ पर इस जमीन को बेचने का दबाव बनाने लगे।


जब काफी दबाव पड़ा तो आरिफ और उसका भाई इस जमीन को एक-एक करोड़ रुपये में बेचने के लिए तैयार हो गए थे। मुख्तार के गुर्गे इस जमीन के लिए इतना पैसे देने के लिए तैयार नहीं हुए फिर एक दिन साल 2016 में ही मुख्तार के लोग उन्हें और उसके भाई को घर से जबरन उठाकर कचहरी ले आए और वहां पहले से तैयार कागजात पर इन दोनों से साइन करवा लिए। इन लोगों ने कागजी खानापूर्ति के लिए दोनों भाइयों को 22 लाख 50 हजार के दो चेक दे दिए और कागज पूरे करवा लिए। जब इन दोनों भाइयों ने जमीन के लिए एक-एक करोड़ रुपये की मांग की तो गुर्गों ने जान से मारने की धमकी दे डाली।


अब जब दोनों भाइयों ने सब्र करते हुए इन दोनों चेकों को बैंक में डाला तो चेक बाउंस हो गए। फिर दोनों भाई परेशान हुए। काफी भागदौड़ करने के बाद इनको साल 2017 मार्च में फिर से चेक दिया गया। इस बार ये चेक भी बाउंस हो गया, अब जब तीसरी बार ये बाउंस चेक का पैसा मांगने मुख्तार के गुर्गों के पास गए तो इनको जान से मारने की धमकी दी गई। फिर इन्होंने पुलिस में शिकायत दी।
13 जनवरी 2021 को आरिफ सदर तहसील से अपने घर की ओर जा रहे थे। इसी दौरान विक्रम ब्रिज, अफजाल और दो अन्य ने पिस्टल सटा कर मुख्तार के नाम से 50 लाख रुपये का गुंडा टैक्स मांगा। इसी के साथ इन लोगों ने जमीन और बकाया पैसा भूल जाने की धमकी दी। इस तरह के कई मामले यूपी के थानों में दर्ज हैं जो अब खुलकर सामने आ रहे हैं।

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