‘एक जिला, एक उत्पाद’ के तहत 728 जिले चयनित, किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार का अहम कदम

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कृषि निर्यात और किसानों की आय वृद्धि की दिशा में सरकार ने बड़ा कदम बढ़ाया है। सरकार ने एक जिला, एक उत्पाद के तहत 728 जिलों को चयनित किया है। इसके अंतर्गत प्रत्येक जिले के संबंधित उत्पाद को बढ़ावा दिया जाएगा। सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। ‘वन डिस्टि्रक्ट, वन फोकस्ड प्रोडक्ट’ (ओडीओएफपी) की पहल को इस दिशा में बहुत अहम माना जा रहा है। हर जिले में किसी चिह्नित उत्पाद को बढ़ावा देने से उसकी गुणवत्ता सुधारने में भी मदद मिलेगी, साथ ही उसका मूल्य भी बढ़ेगा। ऐसे चिह्नित उत्पादों के लिए अन्य देशों में बाजार तलाशना भी संभव होगा और किसानों को लाभ मिलेगा।

कृषि मंत्रालय ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय से विमर्श के बाद एक जिला, एक उत्पाद की पहल के तहत उत्पादों को चिह्नित किया है। इस प्रक्रिया में राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) की भी राय ली गई है।


बयान में कहा गया, ‘देशभर के 728 जिलों में कृषि, बागवानी, पशु, पोल्ट्री, दुग्ध, मत्स्य पालन एवं एक्वाकल्चर व मरीन सेक्टर से उत्पादों का चयन किया गया है।’ कृषि मंत्रालय ने बताया कि इन उत्पादों को केंद्र सरकार की योजनाओं के माध्यम से क्लस्टर एप्रोच के तहत बढ़ावा दिया जाएगा।

इससे इन उत्पादों की कीमत बढ़ाने और किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। चिह्नित किए गए उत्पादों को खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की पीएम-एफएमई स्कीम के तहत समर्थन मिलेगा, जिसके अंतर्गत प्रमोटर्स और छोटे उद्यमों को इंसेंटिव दिया जाता है। इसी तरह अलग-अलग विभाग अपने-अपने स्तर पर इसे समर्थन देंगे। कृषि मंत्रालय राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन जैसी केंद्रीय योजनाओं के जरिये एक जिला, एक उत्पाद को बढ़ावा देगा। इस पहल के लागू होने से कृषि उत्पादों के वैल्यू एडिशन का रास्ता खुलेगा और कृषि निर्यात बढ़ेगा।


कितने जिलों में कौन से उत्पाद

फलों के लिए 226 जिले, सब्जियों के लिए 107, मसालों के लिए 105, तिलहन के लिए 41, धान के लिए 40, दालों के लिए 25, वाणिज्यिक फसलों के लिए 22 और गेहूं के लिए पांच जिलों का चयन किया गया है। बागवानी, मत्स्य पालन एवं कुछ अन्य श्रेणी के उत्पादों का भी चयन किया गया है।

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