सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर तक के लिए स्थगित की ब्याज पर ब्याज माफी की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई

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सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम अवधि के दौरान टर्म लोन्स पर ब्याज पर ब्याज माफ करने और लोन मोरेटोरियम के विस्तार की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई को 14 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया है। जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है।

इससे पहले लोन मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज से जुडे़ इस मामले पर सुनवाई मंगलवार को और उससे पहले 02 दिसंबर को हुई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लाखों कर्ज लेनदारों की निगाहें लगी हुई हैं, जिन्होंने कोविड-19 की वजह से आय प्रभावित होने की वजह से लोन मोरेटोरियम सुविधा का लाभ लिया था।

लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान मंगलवार को निम्न बातें प्रमुखता से रहीं-

ब्याज दरों में कटौती के ट्रांसमिशन पर सरकार ने यह कहा

फरवरी और अक्टूबर महीने के बीच आरबीआई ने रेपो रेट में 1.15 फीसद की कटौती सुनिश्चित की। इससे औसत उधार दर में 0.88 फीसद की गिरावट आई। साथ ही ताजा होम लोन्स के लिए ब्याज दरें सात फीसद से नीचे आ गईं।


सरकार ने पावर गेनोस व डेवलपर्स को और राहत देने का किया विरोध

अधिकतर याचिकाकर्ता एसोसिएशंस के विरासत से जुड़े मुद्दे हैं। उनके मुद्दे कोरोना वायरस महामारी के कारण नहीं है, बल्कि कोरोना पूर्व के फैक्टर्स के कारण हैं। इन सेक्टर्स में तनाव महामारी के कारण नहीं है। पावर सेक्टर के लिए जो किया जाना था, हो गया है। सरकारी राहत की बात करें, तो कोरोना वायरस महामारी के दौरान भी पावर प्लांट बंद नहीं किये गए। लॉकडाउन के दौरान एक दिन भी पावर प्लांट बंद नहीं हुए।


केंद्र ने ब्याज माफी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट को चेताया

यदि सभी प्रकार के ऋणों पर ब्याज छूट दी जाती है, तो माफ की गई राशि 6 ​​लाख करोड़ रुपये से अधिक होगी। इस कारण ब्याज माफी पर विचार नहीं किया गया। यह बैंकों के शुद्ध मूल्य का एक बड़ा हिस्सा समाप्त कर देगा और बैंकों के अस्तित्व के लिए गंभीर सवाल पैदा कर देगा। अकेले एसबीआई की बात करें, तो ब्याज माफी बैंक के शुद्ध मूल्य का आधा हिस्सा मिटा देगी।


क्या आप चक्रवद्धि ब्याज भी लेंगे: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज लिया है, लेकिन क्या आप चक्रवद्धि ब्याज भी लेंगे? सवाल यह है। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह बैंक और जमाकर्ता के बीच अनुबंध का मामला है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ब्याज का भुगतान और किस्त भी अनुबंध का मामला है, लेकिन आपने वहां भी अपने फैसले लागू किये हैं।

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