प्रदेश अध्यक्ष के भरोसे चल रही दोनों पार्टी: महागठबंधन की दो बड़ी पार्टी के नेताओं पर बढ़ा कानूनी शिकंजा, फंस गया प्रदेश संगठन का विस्तार
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पटना17 मिनट पहलेलेखक: इन्द्रभूषण
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राजद और कांग्रेस।
महागठबंधन की दो अहम पार्टियों राजद और कांग्रेस के नेताओं पर कानूनी शिकंजा बढ़ा है। नतीजा पार्टी की प्रदेश कमेटी का गठन फंस गया है। दोनों की पार्टी सिर्फ नये प्रदेश अध्यक्ष के भरोसे चल रही है। राहुल गांधी पर कानूनी शिकंजा कसने से प्रदेश कांग्रेस पशोपेश में है तो उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर लगातार ईडी और सीबीआई की दबिश से प्रदेश राजद असमंजस में पड़ा हुआ है।
कहने को तो पुरानी प्रदेश कमेटियों के नेताओं के सहारे काम चलाया जा रहा है। पर हकीकत ये है कि नई कमेटी गठन की आशा में कोई भी नेता भर मन से न तो जिलों में और न ही प्रदेश स्तर पर काम कर पा रहा है। इस कारण दोनों पार्टियों के नेता वेट एंड वॉच की मुद्रा में हैं और उसका सीधा असर पार्टी की दैनिक गतिविधियों पर पड़ रहा है।

राजद का हाल : सीबीआई ईडी से परेशान
बात राज्य के सबसे बड़े दल राजद की करते हैं। बीते साल 20 सितंबर को जगदानंद सिंह दोबारा प्रदेश अध्यक्ष निर्वाचित हुए। अभी पखवारा भी नहीं बीता था कि बेटे सुधाकर सिंह के सरकार विरोधी रवैये के कारण बेटे की मंत्री पद से इस्तीफा की घोषणा खुद करनी पड़ी। फिर कई दिनों तक वो पटना से बाहर रहे। दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में भी शामिल नहीं हुए।
उसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू ऑपरेशन कराने देश से बाहर चले गये। वो सफल ऑपरेशन करा वापस देश लौटे तो लगा कि अब प्रदेश राजद के सभी जिलाध्यक्षों और नई प्रदेश कमेटी का गठन हो जाएगा। पर इधर एक महीने से राजद अध्यक्ष लालू यादव, राबड़ी देवी, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, सांसद मीसा भारती पर सीबीआई और ईडी का ऐसा शिकंजा कसा है कि प्रदेश कमेटी का मामला लटक ही पड़ा है।

कांग्रेस लाचार : राहुल पर संकट से परेशानी
प्रदेश कांग्रेस की बात करें तो डॉ. मदन मोहन झा 5 साल तक प्रदेश अध्यक्ष रहे पर प्रदेश कमेटी नहीं बना पाए। 4 माह पहले 5 दिसंबर को डा. अखिलेश प्रसाद सिंह को राष्ट्रीय नेतृत्व ने बिहार प्रदेश की कमान सौंपी। आनन फानन में कई सालों से लंबित प्रखंड अध्यक्षों की सूची तो उन्होंने तुरंत जारी करवा दी और जिलाध्यक्षों की नियुक्ति एक महीने के अंदर करने की घोषणा भी की।
वर्षों से लंबित प्रदेश कमेटी के गठन की भी उन्होंने तैयारी शुरू की। पर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के कारण उस समय तत्काल वो गठन नहीं करवा पाए। यात्रा समाप्त हो गई और राहुल मोदी सरनेम वाले मामले में दोषी पाए गए। इससे प्रदेश कांग्रेस कमेटी और जिलाध्यक्षों के चयन का मामला केंद्रीय नेताओं के पाले में पड़ा हुआ है।