निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दायर की थी याचिका, HC ने याचिकाकर्ता पर लगाया जुर्माना

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दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कोरोना महामारी के दौरान छात्रों से ऑनलाइन शुल्क लेने और ऑनलाइन कक्षाओं से इनकार करने वाले निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। अदालत ने याचिकाकर्ता के खिलाफ 20 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने याचिका यह कहते हुए खारिज कि यह खुद के प्रचार के लिए लगाई गई याचिका लगती है।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने कहा कि याचिका बिना किसी होमवर्क के दायर की गई है। उन्होंने कहा कि स्कूल फीस बढ़ा रहे हैं या ऑनलाइन क्लास कराने से इनकार कर इस बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं दी गई है।

दरअसल, याचिका में दावा किया गया है कि “उचित” ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित नहीं की जा रही हैं। अदालत ने पूछा कि “उचित” से याचिकाकर्ता का क्या मतलब है। पीठ ने कहा, “यह अस्पष्ट शब्द है। किसी भी चीज को उचित नहीं कहा जा सकता है। पीठ ने कहा, “कोई भी होमवर्क किए बिना यह याचिका दायर की गई है। कोई विवरण नहीं दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि जुर्माना के पैसे दिल्ली कानूनी सेवा प्राधिकरण के पक्ष में चार सप्ताह के भीतर जमा कराया जा सकता है।


बता दें कि यह यायिका एंटी-करप्शन काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट की तरफ से वकील अशोक कुमार सिंह ने दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि समाचार रिपोर्टों के अनुसार, कई स्कूल कथित तौर पर ट्यूशन फीस के अलावा विभिन्न घटकों के तहत फीस जमा कर रहे हैं और जो नहीं दे पा रहे उनके बच्चों को ऑनलाइन क्लास नहीं करने दिया जा रहा है।

याचिका में तर्क दिया कि इस तरह की कार्रवाइयां स्कूलों को बंद होने पर प्रचलित महामारी के दौरान स्कूलों से ट्यूशन फीस से अधिक शुल्क नहीं लेने के दिल्ली सरकार के निर्देशों का उल्लंघन है। इसने दावा किया था कि दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन के अनुसार, 76 निजी स्कूल हैं जो दिल्ली सरकार के निर्देश का उल्लंघन कर रहे हैं।

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