जालंधर में है एशिया की सबसे बड़ी 400 दुकानों वाली बुक मार्केट, कहते हैं ऐसी कोई किताब नहीं जो यहां ना मिले

100


शहर के माई हीरां गेट मार्केट ने दुनिया भर में अलग पहचान बनाई है। वजह है यहां बड़ी संख्या में लगने वाली किताबों की दुकानें। कहते हैं कि जो किताब कहीं नहीं मिलती वह माई हीरां गेट में मिल जाती है। चार सौ दुकानों वाली यह बुक मार्केट एशिया में सबसे बड़ी मानी जाती है। इसी कारण लोग दूर-दूर से यहां किताबें खरीदने आते हैं। यह मार्केट सिटी रेलवे स्टेशन के पास ही है। एक किमी से से ज्यादा दूरी नहीं है। स्टेशन से पैदल भी यहां पहुंचा जा सकता है। अलग-अलग जोनर की किताबों से भरपूर यह मार्केट खुद में रोचक इतिहास समेटे है। विदेश में रह रहे लोग भी यहां से किताबें लेकर जाते हैं। अगर आपका भी कभी जालंधर आना हो तो इस मार्केट में जाना ना भूलें।

डेढ़ सौ साल पुरानी है यह मार्केट

इतिहासकारों के अनुसार माई हीरां गेट में किताबों का बाजार आजादी से पहले का है। पहले यहां पर बहुत कम किताबों की दुकानें होती थी। पुरानी दुकानें आज भी उसी तरह कायम हैं। अंग्रेजों के जमाने से प्रचलित यह पुस्तक बाजार आज बड़े एरिया में फैल चुका है। यहां पर हर कक्षा से संबंधित विभिन्न भाषाओं की पुस्तकें आसानी से मिल जाती हैं। ऐसा कोई लेखक या साहित्य की विधा नहीं, जिसकी किताबें यहां पर ना मिलती हों।

जालंधर की माई हीरां गेट मार्केट में किताबों की चार सौ से ज्यादा दुकानें हैं।

ऑनलाइन भी बेचते हैं किताबें

बाजार में स्थित अधिक दुकानदारों ने अन्य शहरों व देशों में किताबें आनलाइन भेजने का काम भी शुरू कर दिया है। लोगों को घर बैठे आसानी से कम दाम में हर तरह की किताब मिल जाती है।


एशिया में सबसे बड़ी

जालंधर की बुक मार्केट एशिया में सबसे बड़ी है। यहां पर 400 से अधिक किताबों की दुकानें है। इस बाजार में केवल किताबों की बिक्री नहीं होती बल्कि किताबें प्रकाशित भी की जाती है। कई ऐसे दुकानदार आज भी यहां पर मौजूद है जो बहुत पुराने हैं और किताबें छापने का काम कर रहे हैं। रोजाना वह हजारों की गिनती में किताबें छाप कल कॉलेज स्कूल यूनिवर्सिटी में डिमांड अनुसार भेजते हैं। इस हिसाब से हर वर्ग के लिए उनकी मनपसंद की किताबें आसानी से मिल जाती हैं। सड़क के दोनों तरफ किताबें ही किताबें हैं। माई हीरां गेट में प्रसिद्ध किताबों की इस बाजार में विभाजन के बाद पाकिस्तान से आकर लोगों ने दुकानें खोली। आज भी वे अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं।


बाजार में भारतीय संस्कृति भवन नाम से प्रसिद्ध दुकान के मालिक हरिश्चंद्र बताते हैं कि यह बुक मार्केट पंजाब का सबसे पुराना और प्रसिद्ध है। उनकी दुकान वर्ष 1970 से यहां उसी रूप में है जैसे कि पहले थी। वह बताते हैं कि हमने इस बाजार को बदलता देखा है। पहले यहां पर इतनी दुकाने नहीं होती थी, जितनी कि आज हैं। यहां हर तरह की किताब मिल जाती है।

Get real time updates directly on you device, subscribe now.