आरबीआइ ने महंगाई दर निर्धारण की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव पर विचार के संकेत पिछले एक वर्ष के दौरान कई बार दिए थे। लेकिन शुक्रवार को इस बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट जारी करते हुए आरबीआइ ने ठोस संकेत दिया है कि अगले पांच वर्षों के लिए मौजूदा व्यवस्था ही लागू रहेगी। केंद्रीय बैंक वर्ष वर्ष 2026 तक देश में खुदरा महंगाई की दर को चार फीसद ( दो फीसद नीचे या ऊपर) पर रखने की मौजूदा नीति उस समय तक जारी रख सकता है। इस बारे में अंतिम घोषणा अगले महीने होने की संभावना है। पिछले पांच वर्षों से केंद्रीय बैंक महंगाई दर को न्यूनतम दो और अधिकतम छह फीसद के बीच रखने को लेकर सारी कवायद कर रहा है।
दुनिया के कई देशों के केंद्रीय बैंक लचीले महंगाई लक्ष्य (एफआइटी) के तहत ही काम करते हैं। आरबीआइ ने वर्ष 2016 से इसे अपनाया है और देश में महंगाई दर को चार फीसद के आसपास रखने के हिसाब से अपनी नीतिगत दरें तय करता है। महंगाई दर के इन आंकड़ों से ऊपर-नीचे होने को केंद्रीय बैंक की विफलता के तौर पर देखा जाता है।
आरबीआइ की करेंसी और फाइनेंस पर जारी नई रिपोर्ट में कहा गया है कि एफआइटी लागू होने से पहले भारत में महंगाई की दर नौ फीसद थी जो बाद की अवधि में 3.8-4.3 फीसद रही है। हाल के दिनों में कुछ अर्थविदों ने महंगाई दर के छह फीसद स्तर को काफी ज्यादा बताया था लेकिन आरबीआइ की रिपोर्ट में इसे उचित करार दिया गया है। आरबीआइ की रिपोर्ट यह बताती है कि केंद्रीय बैंक ने पिछले पांच वर्षों में ब्याज दरों को घटाने की जो कोशिशें की थी उसका फायदा धीरे-धीरे बैंक ग्राहकों को मिलने लगा है।