अपराध हुए कम, पर सालभर चुनौतियों से जूझती रही पुलिस

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राजधानी में बीते एक साल में अपराधों में कमी जरूरी आई, लेकिन इस दौरान पुलिस विभिन्न चुनौतियों से जूझती रही। वर्ष की शुरुआत में नागरिकता संशोधन काननू (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) का विरोध, फिर इस वजह से भड़के दंगे और साल बीतते-बीतते तक कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के बीच कानून-व्यवस्था को दुरुस्त बनाए रखने के लिए पुलिस ने कड़ी मशक्कत की। साथ ही अपराध पर अंकुश लगाने के लिए भी जी-जान से जुटी रही।

फलस्वरूप सड़कों पर होने वाली झपटमारी को छोड़ अन्य स्ट्रीट क्राइम, हत्या, हत्या के प्रयास, दुष्कर्म, डकैती, अपहरण आदि सभी तरह के संगीन व गैर संगीन आपराधिक मामलों में बीते साल की तुलना में काफी गिरावट देखी गई। यह कहना है पुलिस आयुक्त (सीपी) एसएन श्रीवास्तव का। पुलिस मुख्यालय में शुक्रवार को आयोजित वार्षिक पत्रकार वार्ता में उन्होंने बताया कि 2019 में कुल 3,16,261 आपराधिक मामले दर्ज किए गए, जबकि 2020 में 2,66,070 मामले दर्ज किए गए। 2019 की तुलना में 2020 के केवल आइपीसी के तुलनात्मक आंकड़े को देखा जाए तो प्रति एक लाख जनसंख्या पर 1,259 अपराध हुए।

उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस देश की सबसे पेशेवर पुलिस की छवि बना चुकी है। पुलिस की सतर्कता के कारण ही पिछले साल आतंकवादी हमलों से दिल्ली महफूज रही। स्पेशल सेल ने विभिन्न आतंकी संगठनों के 32 आतंकियों को दबोचा। यह भी अपने आप में एक रिकार्ड है। आयुक्त ने कहा कि पिछले साल तकरीबन सभी छोटे-बड़े गैंगस्टरों को दबोचकर न केवल सलाखों के पीछे पहुंचाया गया, बल्कि कई पर मकोका भी लगाया गया।

पुलिस की छवि को दोस्ताना बनाने का प्रयास : सीपी

सीपी ने कम्यूनिटी पुलिसिंग और प्रभावी बनाने की बात कहते हुए नेवरहुड वाच स्कीम, पुलिस मित्र, आइ एंड इयर स्कीम, प्रहरी आदि को काफी बढ़ाने की बात कही। निजी गार्ड, माली, चौकीदार, घरेलू सहायक, आरडब्ल्यूए, मार्केट व अन्य एसोसिएशनों को पुलिस का हिस्सा बनाने पर भी उन्होंने बल दिया। विकसित देश अमेरिका, जर्मनी, थाईलैंड आदि में इसी तरह की व्यवस्था है। वहां सभी कम्यूनिटी के लोगों को पुलिस अपने से जोड़कर रखती है।

आयुक्त ने कहा कि यातायात व्यवस्था को लेकर उन्होंने कहा कि लाल बत्ती पर कई जगहों पर लाकडाउन से पहले ही कैमरे लग गए थे। अब और भी जगहों पर कैमरे लगाए जा रहे हैं। दिल्ली में साइबर अपराध भी लगातार बढ़ रहा है, जिसे रोकने को हर जिले में आर्थिक अपराध व साइबर सेल की शाखाएं शुरू कर दी गई हैं।

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